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सीधी के गांव में नाग-नागिन का दुर्लभ मिलन, ग्रामीणों ने देखा शुभ संकेत

सीधी में नाग-नागिन के दुर्लभ मिलन से गांव में मचा हड़कंप, लोग मानने लगे शुभ संकेत, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के डोल टिकुरी टोला गांव में शनिवार शाम एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने पूरे इलाके में चर्चा का माहौल बना दिया। शाम करीब 4 बजे जमोड़ी थाना क्षेत्र के खुले मैदान में नाग और नागिन का जोड़ा आपस में लिपटा नजर आया। यह दृश्य गांव के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था।

देखते ही देखते सैकड़ों ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए और इस दृश्य को अपनी आंखों में कैद करने के लिए मोबाइल निकाल लिया। कुछ लोगों ने वीडियो बनाकर तुरंत सोशल मीडिया पर भी साझा कर दिया, जिसके बाद यह घटना तेजी से इलाके में वायरल हो गई।

ग्रामीणों के लिए यह दृश्य सिर्फ अजूबा ही नहीं बल्कि धार्मिक आस्था का विषय भी था। गांव के बुजुर्ग देवकुमार पटेल ने बताया कि उनकी परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार नाग-नागिन का इस तरह मिलन होना बेहद शुभ माना जाता है। उनका मानना है कि इससे उस जगह का माहौल पवित्र हो जाता है।

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और वहां किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर सकारात्मकता का संचार होता है। यही वजह रही कि मौके पर कई ग्रामीणों ने पूजा-पाठ शुरू कर दिया और भगवान शिव का आह्वान करते हुए परिवार व गांव की सुख-शांति की प्रार्थना की।

इस बीच, कुछ लोगों ने इसे चमत्कार मानकर अपने बच्चों और रिश्तेदारों को भी देखने के लिए बुला लिया। बच्चों और युवाओं के लिए यह पहली बार था जब उन्होंने सांपों को इस तरह पास से देखा, जिससे उनमें उत्सुकता और भय का मिश्रण देखने को मिला। कई महिलाएं भी अपने घरों से निकलकर इस अद्भुत घटना को देखने पहुंच गईं। देखते ही देखते यह पूरा क्षेत्र जैसे एक छोटे मेले में तब्दील हो गया।

हालांकि वन्यजीव विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को समझाया कि यह नाग-नागिन का मैथुन व्यवहार है, जो मानसून के दौरान सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि जून-जुलाई के महीनों में सांपों का प्रजनन काल होता है, जिसमें नर और मादा सांप एक-दूसरे से लिपटते हैं।

यह प्रक्रिया कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक चल सकती है और इसे लेकर किसी तरह का अंधविश्वास नहीं फैलाना चाहिए। विशेषज्ञों का यह भी कहना था कि सांपों को छेड़ने या उनके आस-पास जाने से परहेज करना चाहिए, ताकि किसी तरह का हादसा न हो।

वन विभाग ने भी ग्रामीणों से अपील की कि सांपों को लेकर डर या भ्रम न फैलाएं और ना ही उन्हें नुकसान पहुंचाएं। यह घटना प्रकृति का हिस्सा है, जिसे समझने और संरक्षण करने की जरूरत है। ग्रामीणों को बताया गया कि सांप हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों की संख्या नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

इस पूरी घटना ने यह भी दिखाया कि गांवों में आज भी परंपराएं, मान्यताएं और अंधविश्वास किस तरह जीवित हैं। वहीं, इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए ऐसे दृश्य कितनी तेजी से लोगों तक पहुंच जाते हैं।

यह घटना जहां ग्रामीणों के लिए कौतूहल और भक्ति का विषय बनी, वहीं विशेषज्ञों ने इसे विज्ञान की नजर से समझाने की कोशिश की, ताकि लोग जागरूक हों और सांपों को लेकर बेवजह का डर या गलत धारणाएं न पालें।

समाचार

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