मध्य प्रदेश के रीवा शहर ने बीते वर्षों में जबरदस्त तरक्की की है। कभी विंध्य प्रदेश की राजधानी रहा यह शहर अब आधुनिकता और सांस्कृतिक विरासत का अनूठा मेल बन चुका है। चौड़ी सड़कों, ऊंची इमारतों और तेजी से विकसित होते बाजारों के बीच रीवा ने अपनी एक खास पहचान भी बनाई है—यह पहचान है यहाँ के स्वादिष्ट और पारंपरिक व्यंजनों की।
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रीवा के खान-पान की बात करें तो कुछ जगहें ऐसी हैं जो न केवल शहरवासियों के बीच, बल्कि पूरे विंध्य क्षेत्र में अपनी खासियत के लिए मशहूर हैं। ऐसी ही एक लोकप्रिय जगह है—गोप सुनील स्वीट्स, जो सब्जी मंडी स्थित जानकी पार्क में वर्षों से लोगों की स्वादेंद्रियों को तृप्त कर रही है।
यहाँ का प्रमुख आकर्षण है—दाल पापड़, जो मात्र 20 रुपये में मिलने वाला एक भरपेट और स्वादिष्ट नाश्ता है। सिंधी समाज का यह पारंपरिक व्यंजन अब पूरे रीवा में लोकप्रिय हो चुका है, लेकिन गोप सुनील स्वीट्स का स्वाद बाकी जगहों से बिल्कुल अलग और खास है। यही कारण है कि सुबह 9 बजे जैसे ही दुकान खुलती है, ग्राहकों की लंबी कतार लग जाती है और यह भीड़ तब तक बनी रहती है जब तक दाल पापड़ खत्म नहीं हो जाता।
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गोप सुनील स्वीट्स सिर्फ स्वाद की नहीं, बल्कि इतिहास और विरासत की भी कहानी है। यह प्रतिष्ठान 55 वर्षों से अधिक पुराना है और इसकी शुरुआत भगवानदास थारवानी (गोप), हरकिशनदास और लालचंद थारवानी ने की थी। इन तीन भाइयों की मेहनत और लगन से यह दुकान रीवा की पहली पसंद बन गई। बाद में समय के साथ परिवार के सदस्य अलग हो गए और शहर के अलग-अलग हिस्सों में गोप स्वीट्स की नई शाखाएँ खुलीं।
आज लालचंद थारवानी के बेटे इस प्रतिष्ठान को संभाल रहे हैं और उसी पुराने स्वाद और परंपरा को बनाए हुए हैं। यह सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि रीवा की सांस्कृतिक धरोहर बन चुकी है, जहाँ हर दिन हजारों लोग सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि उस परंपरा का हिस्सा बनने आते हैं जो वर्षों से चली आ रही है।
गोप सुनील स्वीट्स का दाल पापड़ अब सिर्फ एक नाश्ता नहीं, बल्कि रीवा की पहचान बन चुका है। अगर आप कभी इस शहर आएं, तो जानकी पार्क की इस दुकान पर जाकर एक बार ज़रूर चखें—वो स्वाद, जो न केवल पेट, बल्कि दिल को भी तृप्त कर देता है।