Sharad Pawar: शरद पवार बनाम अजित के ‘पावर शो’ में कितनी अहम है स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका!
महाराष्ट्र में शरद पवार के खिलाफ बगावत करने वाले अजित पवार ने एनसीपी पर अपना हक जताया है उन्होंने दावा किया है कि एनसीपी उनकी है जबकि शरद पवार ने कहा है कि ये तो जनता बताएगी कि पार्टी किसकी है।
इन सबके बीच शरद पवार ने एक्शन लेते हुए प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है साथ ही अजित पवार समेत उन 9 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर कर दी है जिन्होंने शिंदे सरकार में मंत्रीपद की शपथ ली है
इसके बाद पार्टी ने अजित पवार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले आठ अन्य लोगों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की
जिस तरह भारतीय राजनीति पार्टी विभाजन दल-बदल या अयोग्यता से अलग नहीं है उसी तरह भारतीय न्यायपालिका भी इन राजनीतिक झगड़ों से उत्पन्न होने वाली कानूनी लड़ाई से अलग नहीं है।
इस तरह के राजनीतिक झगड़े और पार्टी से बगावत करने वाले विधायकों के लिए दल बदल कानून बनाया गया है ये कानून उन सांसदों / विधायकों को दंडित करता है जो दल बदलते हैं और
किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाते हैं. इसके लिए पार्टी को विधानसभा स्पीकर के पास ऐसा करने वाले सांसद / विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर करनी होती है
इस पर स्पीकर फैसला लेते हैं और दलबदलने वाले नेताओं पर कार्रवाई करते हैं कानून के तहत उनकी सदस्यता भी जा सकती है. हालांकि समय- समय पर स्पीकर की शक्तियों इसे तय करने में लगने वाला समय को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
कारण स्पीकर पर फैसला लेने में देरी करने के आरोप लगते रहते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में स्पीकर को कितना समय लग सकता है?
फैसला करने का अधिकार सिर्फ स्पीकर का
यह सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसका फैसला करने का अधिकार सिर्फ स्पीकर को ही होता है सुप्रीम कोर्ट की 1992 की संविधान पीठ के एक फैसले के मुताबिक अध्यक्ष/सभापति द्वारा निर्णय लेने से पहले कोर्ट इस पर फैसन्म नहीं सुना सकती है साथ ही इसके लिए समय सीमा निर्धारित नहीं है
हालांकि एक मामले में स्पीकर द्वारा अयोग्यता याचिका पर फैसला लेने के लिए कोर्ट ने समय सीमा तय कर दी थी ये केशम मेघचंद्र सिंह बनाम मणिपुर विधानसभा स्पीकर के मामले में SC का 2020 का फैसला था
तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर को उचित समय अवधि में निर्णय लेना होगा. अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए कोर्ट ने 3 महीने निर्धारित किए थे 3 जजों की पीठ ने कहा था कि दसवीं अनुसूची के
तहत एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हुए अध्यक्ष उचित अवधि के भीतर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए बाध्य हैं साथ ही कोर्ट ने माना था कि यह प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा।