सीधी

Sidhi news: ठंडे बस्ते मे चला गया फर्जी तरीके से 60 लाख रुपए आहरण का मामला, तत्कालीन सिविल सर्जन ने किया था गोलमाल, कागजों में ही सीमित रह गई जांच टीम

Sidhi news: ठंडे बस्ते मे चला गया फर्जी तरीके से 60 लाख रुपए आहरण का मामला, तत्कालीन सिविल सर्जन ने किया था गोलमाल, कागजों में ही सीमित रह गई जांच टीम।

प्रथम न्याय न्यूज़ सीधी। नियम विरूद्ध तरीके से सरकारी खजाने में करीब 60 लाख रूपये की चपत लगाने वाले तत्कालीन सिविल सर्जन के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नही हुई है। जबकि मामला उजागर होने पर संयुक्त संचालक स्वास्थ्य रीवा एवं कलेक्टर सीधी द्वारा जांच टीम गठित की गई थी। लेकिन आज तक जांच टीम द्वारा की गई कार्रवाई का निष्कर्ष नही निकल सका है। बता दें कि तत्कालीन सिविल सर्जन रहे डॉ देवेन्द्र सिंह द्वारा अपनी पत्नी डॉ मंजू सिंह जो सेवा से बर्खास्त है जिनका नियम विरूद्ध तरीके से वेतन भरकर 60 लाख 81 हजार रूपये आहरण कर लिया था। मामले का पर्दाफास होने पर जांच टीम गठित कर पूरे मामले की जांच कराई गई लेकिन की गई जांच का निष्कर्ष क्या निकला इसका खुलाशा आज तक नही हो सका है। 

उल्लेखनीय है कि जिला चिकित्सालय के तात्कालिक सिविल सर्जन डॉ देवेंद्र सिंह द्वारा सेवा से बर्खास्त पत्नी डॉ मंजू सिंह का वेतन अवैधानिक रूप से 60 लाख 81हजार 310 रुपए की राशि आहरण कर लिए थे। जानकारी के अनुसार डॉ. देवेन्द्र सिंह ने धर्मपत्नी डॉ. श्रीमती मंजू सिंह को शासन ने आदेश क्रमांक-1/एफ.-13-75/2005/17/मेडी-01 दिनांक 18 नवम्बर 2009 के तहत उन्हे सेवा से बर्खाश्त कर दिया गया था। बर्खाश्तगी के बाद मंजू सिंह शासकीय सेवा में लगातार भले ही अनुपस्थित रहीं, बीच-बीच में नशबंदी का कार्य वे अपनी स्वेच्छा से सम्पादित करती रही हैं। उक्त दिनांक से आज तक शासन ने उन्हे सेवा में वापस लेने का कोई भी आदेश जारी नहीं किया। इस दौरान पांच सिविल सर्जन भी बदले लेकिन किसी ने उनके वेतन आहरण की कार्यवाही नहीं किए।

यह भी पढ़ें: सरपंच की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध सचिव ने जिला सीईओ को दिया कार्य से मुक्त करने का आवेदन पत्र सोशल मीडिया में पत्र हो रहा वायरल

पति को कुर्सी मिली तो मारी बाजी

सेवा से बर्खास्त डॉ मंजू सिंह के पति डॉ. देवेन्द्र सिंह को सिविल सर्जन का प्रभार मिला था। प्रभार मिलते ही सिविल सर्जन रहे डॉ देवेन्द्र सिंह ने अपनी पत्नी के 8 वर्ष के कार्यकाल की गलत जानकारी देकर सरकार के खजाने में लंबी चपत लगाई है। हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले की जानकारी व स्वास्थ्य विभाग के संभागीय एवं प्रदेश स्तरीय आला अधिकारियों के पास होने के बाद भी इतने फर्जीबाड़े में आज तक कोई कार्रवाई नही की गई। शिकायत के बाद तैयार की गई जांच टीम द्वारा क्या कार्रवाई की गई उसका खुलाशा भी नही हो सका है। ऐसे में यह साफ जाहिर हो रहा है कि जांच टीम द्वारा की गई कार्रवाई पारदर्शिता पूर्ण नही है। 

अधेरे मे रखा वरिष्ठ अधिकारियों को भी 

जानकारी के अनुसार तत्कालीन सिविल सर्जन रहे डॉ. देवेन्द्र सिंह ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी अंधेरे में रखकर यह फर्जीवाड़ा किया गया था। बता दें कि एक आदेश इसके लिए जारी किया गया जिसमें आदेश क्रमांक सीस/स्था/सिविल सर्जन/2022/9134 दिनांक 24 दिसम्बर 2022 व वेतन आहरण मंजू सिंह के आदेश को लेकर क्षेत्रीय संचालनालय स्वास्थ्य विभाग दिनांक 29 दिसम्बर 2022 में कार्यवाही रोकने एवं भ्रमित जानकारी के लिए कारण बताओ नोटिस दी गई थी जो कदाचरण की श्रेणी में आता है। नोटिस के बाद भी सिविल सर्जन ने संशोधित आदेश दिनांक क्रमांक सी.सं/2023/61 दिनांक 4 जनवरी 2023 को वेतन आहरण का आदेश जारी कर 10 दिन के भीतर 60 लाख 81 हजार 310 रूपए का भुगतान सेवा से पदच्युत मंजू सिंह को किया गया जो एक गंभीर विषय एवं आपराधिक कृत्य तथा शासकीय राशि के गबन का मामला आता है।

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button