Sidhi news: साहबान डकार गए सीआईबी बोर्ड के करोड़ों रुपए इंजीनियरों की मनमानी चरम पर आखिर कहा गए 17.43 करोड़

Sidhi news: साहबान डकार गए सीआईबी बोर्ड के करोड़ों रुपए इंजीनियरों की मनमानी चरम पर आखिर कहा गए 17.43 करोड़।
प्रथम न्याय न्यूज़ सीधी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में पारदर्शिता लाने गुड गवर्नेंस इनिशियेटिव के तहत सामुदायिक एवं हितग्राही मूलक निर्माण कार्यों में नागरिक सूचना पटल लगाने के निर्देश दिए गए थे लेकिन जिले में लगभग 90 प्रतिशत ऐसे कार्य है जहां नागरिक सूचना पटल लगाने की जरूरत नही समझी गई है और यह भी निर्देश दिए गए थे कि बिना बोर्ड लगाये पूर्ण भुगतान न किया जाय लेकिन जिले में यह निर्देश हवा में उड़ रहे है।
उल्लेखनीय है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से निर्देश प्राप्त हुए हैं थे कि मनरेगा कार्यस्थलों में नागरिक सूचना पटल अनिवार्य रूप से नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही बनाए जाएं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के गुड गवर्नेंस इनिशिएटिव्ह के तहत पारदर्शिता एवं मनरेगा में हो रहे कार्यों के बारे में ग्रामीणों तक जानकारी पहुंचाने अब प्रत्येक कार्यस्थल पर नागरिक सूचना पटल लगाया जाय। लेकिन जिले में लगभग 4397 हजार 818 कार्य पिछले वित्तीय वर्ष में शुरू किए गए थे जिसमें 87 हजार 167 कार्य पूर्ण हुए है। 10 हजार 651 कार्य आज भी अपूर्ण है। जिनमें जनपद पंचायत कुसमी 1145, मझौली 1589 रामपुर नैकिन के 2855 सीधी के 2173,सिहावल के 2889 कार्य आज भी अपूर्ण पड़े हुए है। अब तक काम पूरा न होने के क्या कारण है जबकि तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृतियों में कार्य पूर्णत: की संभावित तिथियां भी अंकित की जाती है। या तो ये काम शुरू ही नही हुए अथवा इनमें राशि आहरित कर कार्य कराया ही नही गया या मनमानी के चलते भुगतान ही नही हुआ। इसकी न तो रिपोर्ट जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मांगी गई और न ही तकनीकी अमले द्वारा इसकी कोई पड़ताल की गई। मिली भगत के इस कारोबार ने भारत देश में निवासरत लोगों द्वारा शासन को दिए गए कर तथा विश्व बैंक द्वारा लिए कर्जे की राशि में योजनाओं के संचालन की राशि का दुरूपयोग हो रहा है और इसे छुपाने के लिए भारत सरकार द्वारा परित अधिनियम और उसी के अनुक्रम में राज्य शासन तथा पूर्ववर्ती सीईओ जिला पंचायत के पत्र के निर्देशों को न मानकर जन सूचना पटल नही लगाये गए है। ताकि जन मानस को हुए कार्यो की जानकारी ही न हो और मामा के खेत की चिरैया भर-भर पेट दाना चुग सके।
असली खेल सूचना छिपाने का
पंचायतों द्वारा कराये जा रहे कार्यो के सीआईबी का निर्माण प्रत्येक कार्य में जाना बाध्यकारी है इसके लिए बाकायदे तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृतियों में जनसूचना बोर्ड निर्माण का प्रावधान भी रखा गया है और इसके लिए लगभग 2 से 3 हजार रूपये की राशि भी प्रावधानित भी गई है लेकिन सीआईबी बोर्ड लगाये ही नही गए,सूचना छिपाई गई इनके निर्माण की राशि का बिल लगा,बिल सत्यापित भी हुई फिर बिल का भुगतान भी किया गया। अगर हम लगभग 87 हजार निर्माण कार्यो में सीआईबी बोर्ड नही लगाये गए है इनके निर्माण के लिए लगभग 2 हजार रूपये जोड़ा जाय तो यह राशि 17 करोड़ 43 लाख रूपये हो रही है। जबकि 26 जुलाई 2019 को अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी म.प्र. राज्य रोजगार गारंटी परिषद डॉ फटिंग राहुल हरिदास द्वारा पत्र क्रमांक 2875/एनआर-1/मनरेगा-एमपी/19 को कलेक्टर/ जिला कार्यक्रम समन्वयक व मुख्य कार्यपालन अधिकारी/अति. जिला कार्यक्रम समन्वयक (मनरेगा) जिला पंचायत को पत्र जारी कर कहा था कि भ्रमण के दौरान नागरिक सूचना बोर्ड नही पाये जाते है तथा नेशनल लेवल मॉनिटर्स का प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 के प्रथम चरण की रिपोर्ट ”की-फाईडिंग मनरेगा में सिटीजन इन्फार्मेसन बोर्ड वेयर नॉट फाउण्ड इन प्लेस इन मेनी विजिटेड वर्कसाइट एक्रास द स्टेटÓÓ टीप दी है।
रद्दी की टोकरी में चले गए पत्र
जिला पंचायत से पत्र कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग सीधी व कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा व समस्त जनपद पंचायत को 22 अगस्त 2019 को पत्र क्रमांक 8449/मनरेगा-एमपी/ गु.ग/जि. पं/ 2019-20 जारी किया गया और उसमें उल्लेख किया गया कि महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत नेशनल लेवल मानीटर के प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 के प्रथम चरण की रिपोर्ट में योजनतर्गत किए गए कार्यों में नागरिक सूचना बोर्ड नहीं पाए जाने की टीप दी गई है। भारत सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2017 से महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत निस्पादित किए जा रहे कार्यों पर निर्धारित प्रारूप एवं मापदण्ड अनुसार नागरिक सूचना वोर्ड (सीआईबी) लगाए जाने के निर्देश दिए गए थे। जिले में योजनांतर्गत किए जा रहे कार्यों में शासन के निर्देश अनुसार नागरिक सूचना बोर्ड न लगा होना अथवा निर्धारित मापदण्ड में न होना पाया गया है, जो कि शासन एवं अधोहस्ताक्षरी द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना की श्रेणी में आता है। अत: निर्देशित किया जाता है कि क्षेत्रीय अमले-निर्माण एजेंसी के माध्यम से निर्माण कार्य में सीआईबी वोर्ड अनिवार्यता से स्थापित कराया जाना सुनिश्चित करें एवं भविष्य में कार्यों में सीआईबी वोर्ड के बिना पूर्ण भुगतान न किया जाए। कोई नही जान पायेगा किसने किया था कार्य
सीआईबी लगाने के पीछे सरकार की स्पष्ट मंशा थी कि सीआईबी बोर्ड के लगने से वहां के रहवासियों को पता चलता रहेगा कि यह कार्य कितने का हुआ और किसने कराया था। लेकिन यहां बैठे अधिकारियों ने इस योजना पर ग्रहण लगा दिया। सीआईबी बोर्ड न लगने से पंच, सरपंच, हितग्राही, उपयंत्री, विधायक, सांसद, जिला पंचायत सीईओ के नाम शासन द्वारा कराये गए कार्यो में अंकित किये जाने थे। लेकिन सीआईबी बोर्ड के लिए राशि तो निकली लेकिन ये कहां गई यह तो साहब और उनके खास ही बता सकते है। जिसके लिए साहब ने पूरी योजनाओं का क्रियान्वयन ही उन्ही को सौंप दिया है।