8वां वेतन आयोग: मोदी सरकार रचेगी नया इतिहास, सिर्फ 200 दिनों में लागू होगा नया वेतनमान!
तेज गति से काम पर लगी केंद्र सरकार, कर्मचारियों को जल्द मिल सकती है बड़ी राहत – जानिए कब और कितना बढ़ेगा वेतन!

जनवरी 2025 में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी और साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी। अब सरकार ने इसे लेकर त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि सरकार मात्र 200 दिनों में वेतन आयोग गठित कर उसकी रिपोर्ट तैयार कर लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
प्रतिनियुक्ति पर होगी स्टाफ की नियुक्ति
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने आयोग के कामकाज के लिए 35 पदों की सूची जारी कर दी है। इन पदों पर प्रतिनियुक्ति के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी। इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए हैं। इसके साथ ही पात्रता के लिए APAR रिपोर्ट, विजिलेंस क्लियरेंस जैसी शर्तें भी तय की गई हैं।
आयोग की संरचना और टर्म ऑफ रेफरेंस अभी बाकी
हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि आयोग का चेयरमैन कौन होगा और इसमें कितने सदस्य शामिल होंगे। इसके अलावा आयोग के लिए ‘टर्म ऑफ रेफरेंस’ की आधिकारिक घोषणा भी नहीं हुई है। संभावना है कि इस माह के अंत तक सरकार इसकी घोषणा कर सकती है।
रिकॉर्ड समय में रिपोर्ट और कार्यान्वयन की तैयारी
इस बार वेतन आयोग के पास केवल छह से सात महीने होंगे रिपोर्ट तैयार करने और सरकार को सौंपने के लिए। इसके बाद सरकार को उस पर विचार कर उसे लागू करना होगा। आमतौर पर यह प्रक्रिया दो से ढाई साल तक चलती रही है, लेकिन इस बार डिजिटल युग की वजह से समय की काफी बचत हो सकती है।
वेतनमान में हो सकता है बड़ा बदलाव
आठवें वेतन आयोग के तहत फिटमेंट फैक्टर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यदि यह फैक्टर 2.0 तय होता है तो वर्तमान न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 36,000 रुपये हो सकती है। वहीं अगर इसे 1.9 रखा गया तो सैलरी 34,200 रुपये होगी। यह निर्णय पूरी तरह सरकार की रणनीति और मंशा पर निर्भर करेगा।
एचआरए और टीए में संभावित बदलाव
नई रिपोर्ट में हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और ट्रैवल अलाउंस (TA) में भी संशोधन की संभावना है। साथ ही यह भी संभव है कि पे मेट्रिक्स के कुछ लेवल को आपस में मर्ज कर दिया जाए ताकि संरचना को सरल और व्यावहारिक बनाया जा सके।
कर्मचारियों की सुरक्षा पर भी हो सकता है ध्यान
सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर मिलने वाली बीमा राशि को वर्तमान में अपर्याप्त माना जा रहा है। आठवें वेतन आयोग में इस मुद्दे पर भी विचार किया जा सकता है, ताकि कर्मचारी हित को और मजबूती मिले।
पांच साल में वेतन संशोधन की मांग
कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है कि वेतन संशोधन हर 10 वर्षों की बजाय हर 5 वर्षों में होना चाहिए। महंगाई की दर बढ़ने के कारण लंबे अंतराल कर्मचारियों के हित में नहीं है।
डिजिटल तकनीक से होगी तेजी
पहले वेतन आयोग के सदस्य अध्ययन के लिए विदेश यात्राएं करते थे, जिससे समय अधिक लगता था। लेकिन अब डिजिटल संसाधनों से विदेशों की नीतियों और वेतन ढांचे की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकती है, जिससे प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा सकती है।
एक नई शुरुआत की उम्मीद
अगर सरकार तय समयसीमा के भीतर आयोग का गठन, रिपोर्ट की प्रस्तुति और क्रियान्वयन कर पाती है, तो यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। इससे कर्मचारियों को समय पर नया वेतनमान मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा और सरकार की कार्यशैली में नया विश्वास पैदा होगा।