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नई वेतन क्रांति की आहट: 8वें वेतन आयोग से बदल जाएगी सैलरी की तस्वीर!

8वां वेतन आयोग लागू होने की संभावना, केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों की सैलरी में 30% तक इजाफा हो सकता है

देशभर के केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी खबर आने वाली है। 31 दिसंबर 2025 को 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म हो रहा है और अब सभी की निगाहें 8वें वेतन आयोग पर टिक गई हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि नए वेतन आयोग के लागू होने से सैलरी में 30% से 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है और फिटमेंट फैक्टर 1.83 से बढ़कर 2.46 तक पहुंच सकता है।

मध्य प्रदेश को भी मिलेगा सीधा लाभ

मध्य प्रदेश सहित देश के तमाम राज्यों में भी इसका असर दिखेगा। राज्य सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों की वेतन और पेंशन में करीब 15% बढ़ोतरी संभव है। खास बात यह है कि सरकारी नौकरी में 10 साल पूरे कर चुके कर्मचारी-अधिकारियों को 5 हजार से 11 हजार रुपए तक की सैलरी बढ़ोतरी मिल सकती है।

एमपी के साढ़े सात लाख कर्मचारियों और साढ़े चार लाख पेंशनर्स को मिलेगा फायदा

अगर 2026 में 8वां वेतन आयोग लागू होता है तो मध्य प्रदेश के करीब 12 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा लाभ मिलेगा। इस संभावित वृद्धि के मद्देनज़र राज्य सरकार ने बजट अनुमान तैयार करवाना शुरू कर दिया है, ताकि पता चल सके कि इस वेतन आयोग का खजाने पर कितना भार पड़ेगा।

वित्त विभाग ने कमर कस ली

वित्त विभाग ने सभी विभागों से 3% सालाना वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए बजट प्रस्ताव मंगवाए हैं। जानकारी के अनुसार अभी वेतन और पेंशन पर कुल बजट का 33% खर्च होता है, लेकिन 8वां वेतनमान लागू होने पर ये आंकड़ा 37% से 40% तक जा सकता है।

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पिछली बार कितना बढ़ा था वेतन?

जब 7वां वेतन आयोग लागू किया गया था तो कर्मचारियों की सैलरी 7 हजार से 18 हजार तक बढ़ी थी, और फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। लेकिन इस बार संभावना जताई जा रही है कि 8वां वेतनमान 3 से 3.25 गुना तक का हो सकता है, जिससे कर्मचारियों को और बेहतर वेतन मिलेगा।

राज्य कब अपनाएंगे केंद्र की सिफारिशें

केंद्र सरकार जब भी नया वेतन आयोग लागू करती है, तो राज्यों को उसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं। पिछली बार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात ने 7वां वेतनमान जल्दी लागू किया था, जबकि मध्य प्रदेश और बिहार को इसमें करीब 6 महीने का समय लगा। केंद्र में यह 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ था, वहीं एमपी ने इसे जुलाई 2017 से लागू किया।

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