हर साल लाखों छात्र यूपीएससी की इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (IES) परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, लेकिन कामयाबी कुछ गिने-चुने उम्मीदवारों को ही मिलती है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी होनहार बेटी की, जिसने असफलता के बाद भी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से पूरे देश में नाम कमाया।
यह कहानी है मृदुपाणि नंबी की, जो मूल रूप से हैदराबाद से हैं। मृदुपाणि ने साल 2022 की IES परीक्षा में ऑल इंडिया 21वीं रैंक हासिल कर पूरे देश में अपनी पहचान बनाई।
पहले प्रयास में चूकीं सिर्फ एक अंक से
साल 2020 में उन्होंने पहली बार IES परीक्षा दी, लेकिन दुर्भाग्यवश वह प्रीलिम्स में सिर्फ 1 अंक से चूक गईं। यह झटका किसी को भी तोड़ सकता था, लेकिन मृदुपाणि ने इसे अपनी ताकत बना लिया।
फोन से बनाई दूरी, सफलता को बनाया लक्ष्य
असफलता के बाद मृदुपाणि ने खुद से वादा किया कि अब distractions से दूर रहकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान देंगी। उन्होंने फोन का इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ दिया और खुद को पूरी तरह पढ़ाई में झोंक दिया।
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दूसरे प्रयास में मारी बाज़ी
साल 2022 में जब उन्होंने दोबारा परीक्षा दी, तो इस बार उनका आत्मविश्वास और तैयारी दोनों ज़बरदस्त थी। उन्होंने ऑल इंडिया 21वीं रैंक हासिल की और Ministry of Communications में बतौर IES ऑफिसर नियुक्त हुईं।
इंजीनियरिंग के दिनों से ही था सपना
मृदुपाणि ने जी नारायण इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन ब्रांच में बीटेक किया था। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें UPSC के जरिए देश सेवा का ख्याल आया और उन्होंने IES को लक्ष्य बनाया।
UPSC की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक
IES परीक्षा UPSC की उन चुनिंदा परीक्षाओं में से एक है जिसे पास करना आसान नहीं। IAS, IPS की तरह ही यह परीक्षा भी देश के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों को चुनती है।
मृदुपाणि नंबी की कहानी हमें सिखाती है कि असफलता कभी अंत नहीं होती, वह तो सिर्फ एक सीख होती है। अगर हौसले बुलंद हों और distractions को छोड़कर पूरी मेहनत से आगे बढ़ा जाए, तो सफलता कदम जरूर चूमती है।