मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले की शहपुरा तहसील को अलग जिला घोषित करने की पुरानी मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। स्थानीय नागरिकों और “शहपुरा जिला बनाओ संघर्ष समिति” ने फिर से इस मुद्दे को लेकर जनआंदोलन की राह पकड़ ली है। समिति के अनुसार, इससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी और लाखों लोगों को सीधी सुविधाएं व रोजगार के अवसर मिलेंगे।
इस मांग को लेकर समिति पहले भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसदों और विधायकों को पत्र भेज चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है।
जनता की आवाज़: शहपुरा को चाहिए जिला का दर्जा
संघर्ष समिति की हाल ही में हुई बैठक में तय किया गया कि यह आंदोलन अब और भी व्यापक रूप में चलाया जाएगा। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि वे तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक शहपुरा को जिला घोषित नहीं किया जाता।
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विधायक ओमप्रकाश धुर्वे का समर्थन
शहपुरा विधायक ओमप्रकाश धुर्वे ने इस आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि शहपुरा भौगोलिक, प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से पूर्ण रूप से जिला बनने की पात्रता रखता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाएंगे और हर मंच पर आवाज उठाएंगे।
नया जिला, नई उम्मीदें
अगर शहपुरा को जिला बनाया जाता है तो इससे स्थानीय नागरिकों को सरकारी सेवाएं और योजनाएं सीधे तौर पर मिल सकेंगी। साथ ही रोजगार के नए द्वार खुलेंगे, जिससे युवाओं को अपने क्षेत्र में ही अवसर मिल पाएंगे।
क्या कहती है संघर्ष समिति
संघर्ष समिति का कहना है कि शहपुरा को जिला घोषित करने से न केवल प्रशासकीय सुविधाएं बेहतर होंगी बल्कि क्षेत्र का समग्र विकास भी होगा। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
अब देखना यह है कि जनता की यह पुरानी मांग कब तक सरकार की प्राथमिकता बनती है और शहपुरा को उसका हक कब मिलता है। संघर्ष जारी है, उम्मीद बाकी है।