रूस-यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप का नया दांव: पुतिन-जेलेंस्की की सीधी वार्ता पर जोर
ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध में सीधी वार्ता का रास्ता चुना, पुतिन-जेलेंस्की मुलाकात से शांति की नई उम्मीद।

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी रणनीति बदल दी है। अब वे इस संघर्ष में सीधे मध्यस्थता से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं। ट्रंप का मानना है कि अगला कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच सीधी वार्ता होना चाहिए।
अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, ट्रंप चाहते हैं कि दोनों नेता बिना अमेरिकी दखल के आमने-सामने बातचीत करें। उन्होंने अपने सलाहकारों को भी साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी त्रिपक्षीय वार्ता से पहले पुतिन-जेलेंस्की की मुलाकात जरूरी है। हालांकि यह बैठक होगी या नहीं, इस पर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।
https://prathamnyaynews.com/mp-ips-officer-transfer-2025-list-update-news/
WABC रेडियो को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वे पहले देखना चाहते हैं कि दोनों नेताओं की बैठक से क्या निकलता है। यह कदम ट्रंप के उस चुनावी वादे से अलग माना जा रहा है जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने का त्वरित समाधान पेश करने की बात कही थी।
पेंटागन का रुख भी साफ है कि भविष्य के किसी भी समझौते में अमेरिका की सैन्य भूमिका सीमित रहेगी। रक्षा उपसचिव एल्ब्रिज कोल्बी ने हाल ही में यूरोपीय सैन्य नेताओं से मुलाकात कर यह भरोसा दिलाया कि अमेरिका केवल सुरक्षा गारंटी तक ही सीमित रहेगा।
ट्रंप ने खुद भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी परिस्थिति में अमेरिकी सैनिक यूक्रेन नहीं भेजे जाएंगे। फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा – “आपको मेरा आश्वासन है, अमेरिकी सैनिक इस युद्ध में शामिल नहीं होंगे।”
वहीं दूसरी ओर, रूस की शर्तें अब भी सख्त बनी हुई हैं। राष्ट्रपति पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन पूर्वी डोनबास क्षेत्र छोड़ दे, NATO में शामिल होने की महत्वाकांक्षा को त्याग दे और देश को तटस्थ रखते हुए पश्चिमी सैनिकों को बाहर करे।
हाल ही में पुतिन और ट्रंप के बीच अलास्का में चार साल बाद शिखर वार्ता हुई। तीन घंटे चली इस बैठक में यूक्रेन संकट पर भी चर्चा हुई। हालांकि किसी ठोस समाधान की घोषणा नहीं हुई, लेकिन उम्मीदें जरूर जगी हैं कि आने वाले समय में पुतिन और जेलेंस्की की सीधी वार्ता से युद्ध खत्म करने का रास्ता खुल सकता है।