नौकरियों के नाम पर युवाओं की भावनाओं से खिलवाड़, डेढ़ लाख से ज्यादा नौकरियां खाली और चार लाख मजदूरों का पलायन, बेरोजगारों का धैर्य समाप्त हो रहा है, शिवराज सिंह सच बोलें -अजय सिंह
सीधी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह लगातार बेरोजगारों से झूठ पर झूठ बोल रहे हैं| वे रोजगार के नाम पर उनकी भावनाओं से खिलवाड़ कर भ्रम का वातावरण बनाये हुए हैं| प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं| युवाओं के धैर्य का बाँध अब टूटता जा रहा है| यही हाल मजदूरों का है| एक साल में मध्यप्रदेश से रोजी रोटी की तलाश में चार लाख मजदूरों का पलायन हो चुका है|
अजय सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार के पास चार साल से सिर्फ एक ही बहाना है कि ओबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट में है| यदि मामला कोर्ट में भी है तो सरकार औचित्य के साथ जल्दी सुनवाई के लिए कोशिश करे| उसे कोर्ट के सामने बेरोजगारों की समस्या व्यकिगत रूचि लेकर प्राथमिकता के आधार पर रखना चाहिए| लेकिन ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री की इस मामले में कोई रूचि नहीं है| इंदौर में अभी स्वतन्त्रता दिवस के समय हजारों युवा बेरोजगार “तिरंगा यात्रा” निकाल कर अपना आक्रोश व्यक्त कर चुके हैं|
सिंह ने कहा कि 2018 के बाद से एक भी पद नहीं भरा गया है| सरकार भर्ती का परीक्षा कैलेण्डर जारी करे| युवाओं की मांग है कि बैकलाग पदों के साथ सरकार एस आई, ए एस आई, पटवारी, सहायक ग्रेड दो और तीन आदि का भी भर्ती कैलेण्डर जारी करते हुए आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट भी दे| पीईबी की भर्ती परीक्षा में फर्जीवाडा रोकने के लिए सख्त से सख्त नियम बनाये| पीएससी ने चार साल में लगभग 70 करोड़ रूपये परीक्षाओं में खर्च किये हैं| दस बार परीक्षा आयोजित की है| चौदह सौ पदों के लिए साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों ने परीक्षा दी| उनसे पांच सौ से लेकर एक हजार तक फीस ली गई| लेकिन चार साल बाद भी नतीजा सिफर| एक को भी नौकरी नहीं दे पाई सरकार| क्लास वन और टू के 40 प्रतिशत और तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के 50 प्रतिशत पद आज भी खाली पड़े हैं| डिप्टी कलेक्टर के 873 में से चार सौ पद और डीएसपी के 1007 में से 357 पद खाली हैं|
अजयसिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को इस संबंध में वस्तुस्थिति युवाओं के सामने रखना चाहिए| उन्होंने कहा कि इसी तरह 12 सालों से रोस्टर समिति की बैठकें नहीं हुई हैं| जबकि हर विभाग को साल में कम से कम एक बार बैठक करना चाहिए| प्रधानमन्त्री नरेद्र मोदी ने भी केंद्र में रिक्त पड़े 10 लाख पदों पर भर्ती के आदेश दिए थे| पिछले साल सितम्बर में शिवराजसिंह ने भी देश में रोजगार को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए एक लाख सरकारी भर्तियाँ करने की घोषणा की थी| ये दो खबरें बेरोजगारों को प्रफुलित तो जरुर करती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें ठगा जा रहा है|