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अफगानिस्तान में क्रिकेट मैच के दौरान फटा बम मैच में भारतीय मूल के कॉमेंटेटर थे मौजूद

गांव में बकरियां चराने वाले बना इंटरनेशनल कमेंटेटर मैच में बम के धमाके हुए हाथ-पैर कटकर गिरे एक घंटे में फिर ग्राउंड पर पहुंचे

गांव में बकरियां चराने वाला क्या इंग्लिश में कमेंट्री कर सकता था? अपने सपने को पूरा करने के लिए जमीन पर सोया, रुपए ज्यादा खर्च नहीं हो इसलिए जेल का खाना खाया। स्टेडियम में प्रैक्टिस से रोक दिया गया, लेकिन इसके बाद भी हार नहीं मानी। अब उसकी आवाज पूरी दुनिया सुन रही है।

कहानी है जोधपुर के चतरपुरा गांव के रहने वाले देवेंद्र चौधरी की। वह तब सुर्खियों में आए, जब अफगानिस्तान में मैच के दौरान ब्लास्ट हुआ और वह लौटकर फिर कमेंट्री करने लगे।

देवेंद्र अब तक अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज, आयरलैंड जैसी टीमों के बीच हुए करीब 20 से ज्यादा इंटरनेशनल क्रिकेट मैचों में कमेंट्री कर चुके हैं। उनके कमेंटेटर बनने का सफर बहुत चैलेंजिंग रहा।

जब किक्रेट ग्राउंड में एंट्री नहीं मिलती थी तो वह पूरे दिन ग्राउंड के बाहर पेड़ पर चढ़कर कमेंट्री की प्रैक्टिस करते थे। अब वह आईपीएल की तरह बांग्लादेश प्रीमियर लीग(बीपीएल) में कमेंट्री करने जाएंगे।

पढ़िए- देवेंद्र चौधरी के संघर्ष की कहानी 

देंवेंद्र चौधरी ने बताया कि मैंने दसवीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। मेरे पिता आर्मी में थे। घर में खेती और पशुओं को चारा खिलाने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं स्कूल से लौटने के बाद दोस्तों के साथ बकरियां चराने जाता था। दोस्त मुझे हमेशा देबिया नाम से बुलाते थे।

रात को खेतों में पहरा देता था। इस दौरान मैं रेडियो पर क्रिकेट मैच की कमेंट्री सुनता था। कमेंटेटर के इंग्लिश में बोलने का लहजा बड़ा अच्छा लगता था। इसके बाद मुझे कमेंट्री सुनने की आदत लग गई। उस समय टेस्ट और वनडे मैच होते थे तो मैच दिनभर चलते थे। मैं दिनभर कान पर रेडियो लगाकर कमेंट्री सुनता रहता था।

मेरे मुंह से इंग्लिश सुनकर दोस्त चौंक जाते थे 

मैं दोस्तों के सामने क्रिकेट मैच पर कमेंट्री करने की नकल करता था। मेरे मुंह से इंग्लिश में कमेंट्री सुनकर दोस्त चौंक जाते थे। वे खुशी से मेरी तारीफ में तालियां बजाते थे। इसके बाद वे बार-बार इंग्लिश में कमेंट्री सुनने की फरमाइश करने लगे। मैं पूरे गांव में फेमस हो गया था। इसके बाद मैं दिनभर इंग्लिश में बात करने की प्रैक्टिस करने लगा।

मुझे कमेंट्री सुनते समय इंग्लिश समझ में नहीं आती थी, लेकिन क्रिकेट के शॉट और बार-बार यूज होने वाले वर्ड सुनकर में अंदाजा लगा लेता था कि इसका मतलब यह होगा। इसके बाद मैंने इंग्लिश कमेंट्री के लहजे में प्रैक्टिस करने लगा।

सचिन की बैटिंग की कमेंट्री सुनकर कमेंट्रेटर का सपना देखा 

1998 में शारजाह कप में सचिन की बैटिंग की कमेंट्री सुनना सबसे ज्यादा अच्छा लगता था। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि मैं बड़ा होकर कमेंटेटर ही बनूंगा। मेरा सपना था कि सचिन की बैटिंग पर मैं बीबीसी पर कमेंट्री करूं। दसवीं के बाद 11वीं की पढ़ाई के लिए मैं जोधपुर आ गया। जोधपुर आकाशवाणी पर एक टेलेंट शो आता था, मैंने उस शो में पार्टिसिपेट करके कमेंट्री की। मुझे फर्स्ट प्राइज मिला। इसके बाद मैं जोधपुर में कहीं भी क्रिकेट प्रतियोगिता होती तो वहां कमेंट्री करने चला जाता था।

खर्चा निकालने के लिए क्रिकेट पोलो मैच की 500 रुपए में कमेंट्री करता था 

देवेंद्र ने बताया कि मैं 2006 में जयपुर आया। उस समय ललित मोदी आरसीए के चेयरमैन थे। एसएमएस स्टेडियम में मैच में कमेंट्री की प्रैक्टिस की परमिशन मांगी तो उन्होंने मना कर दिया। इधर, घर से मुझे खर्चे के पैसे मिलते नहीं थे।

गुजारा चलाने के लिए कहीं भी क्रिकेट और पोलो, हॉकी, फुटबॉल मैच होते थे तो मैं कमेंट्री करने चला जाता था। वहां कहीं बार आयोजक मेरी कमेंट्री से खुश होकर मुझे 500 रुपए देते थे। इस तरह से मेरे जयपुर में रहने का खर्चा निकल जाता था।

एसएमएस स्टेडियम में जाने की परमिशन नहीं मिलती थी 

कमेंटेटर बनने के लिए रोजाना प्रैक्टिस करनी पड़ती थी। खाली ग्राउंड में जाकर रेडियो पर कमेंट्री सुनकर अंदाजा लगाया कि कौन सा शॉट किस तरफ मारा और वो ग्राउंड में किस तरफ है। मैंने रात के समय एसएमएस स्टेडियम में कमेंट्री की प्रैक्टिस करने के लिए परमिशन मांगी तो एंट्री से मना कर दिया। इसी बीच, मुझे पता लगा कि हरियाणा के झज्जर में क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की एकेडमी है।

वहां, वर्ल्ड क्लास का स्टेडियम है। हॉकी, क्रिकेट जैसे सभी स्पोट्‌र्स की ग्राउंड में जाकर कमेंट्री प्रैक्टिस की जा सकता थी, इसलिए मैं झज्जर चला गया। मैंने एकेडमी में ग्राउंड के खाली होने पर कमेंट्री की प्रैक्टिस करने की परमिशन मांगी तो वहां भी मुझे मना कर दिया। पर मैंने तय कर लिया था कि कमेंट्री की प्रैक्टिस किए बिना तो नहीं लौटूंगा।

पेड़ पर चढ़कर कमेंट्री करता और जेल का खाना खाता 

मेरे पास झज्जर में कहीं रहने और खाने के लिए पैसे नहीं थे। एकेडमी के ग्राउंड के पास ही सेंट्रल जेल थी, वहां पुलिस के गार्ड से बात करके खाना देने की बात की। एक गार्ड मुझे 12 रुपए में चने और चार रोटी हर दिन देने के लिए तैयार हो गया।

मैं दिन में ग्राउंड के बाहर पेड़ पर चढ़कर कमेंट्री की प्रैक्टिस करता और रात को वहीं जमीन पर सो जाता। करीब एक महीने तक मैं ऐसे ही प्रैक्टिस करता रहा। फिर मैं वापस जयपुर आ गया। जयपुर में डीडी स्पोट्‌र्स के लिए पोलो और इंटरनेशनल क्रिकेट मैच की कई बार कमेंट्री की।

18 साल बाद सच हुआ शारजाह में कमेंट्री करने का सपना 

1998 में शारजाह के एक मैच में सचिन के बैटिंग की कमेंट्री सुनने के बाद मैंने कमेंटेटर बनने का सपना देखा था। 18 साल बाद 8 दिसंबर 2017 को मुझे शारजाह में आयरलैंड और अफगानिस्तान के बीच होने के वाले ओडीआई मैच में कमेंट्री करने के लिए कॉल आया तो यकीन नहीं हुआ जिस ग्राउंड के मैच में कमेंट्री सुनकर सपना देखा वहां मौका मिल रहा है।

मैंने वहां दोनों टीम के बीच होने वाली तीन ओडीआई सीरीज में कमेंट्री की। मेरी कमेंट्री सुनने के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड मुझे उनके होने वाले हर मैच में कमेंट्री के लिए बुलाने लगा। इसके बाद मैं अफगानिस्तान में कई बार क्रिकेट मैच की कमेंट्री करने के लिए गया।

लाइव मैच में मुझसे कुछ कदम दूर बम ब्लास्ट हुआ 

20 जुलाई 2020 को होने वाले क्रिकेट मैच में मुझे कमेंट्री के लिए अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बुलाया था। मैं उस समय हिमाचल में एक फुटबॉल मैच की कमेंट्री कर रहा था। तालिबान की सरकार बनने के बाद अफगानिस्तान जाने में बहुत खतरा था, फिर भी मैंने वहां जाने का तय किया।

भारत सरकार ने भी मुझे अलर्ट की किया कि आप वहां जाते है तो आपकी जान को खतरा रहेगा। मुझसे एक लेटर लिखवाया गया तब जाने दिया गया। मैच के दौरान यूनाइटेड नेशन के डिप्टी चीफ गेस्ट थे। मैच कमेंट्री के बाद मैं उनका इंटरव्यू लेने जा ही रहा था तभी मुझसे कुछ ही कदम दूर पर बम ब्लास्ट हो गया।

ब्लास्ट में लोगों के हाथ-पैर कटकर मेरे ऊपर आकर गिरे 

ब्लास्ट होते ही चारों ओर अफरा-तफरा मच गई। मेरे ऊपर एक शख्स का पैर कटकर गिरा। मेरे पीछे खड़े एक शख्स पर किसी का हाथ कटकर गिरा। चारों ओर खून और चीख-पुकार। जिस जगह धमाका हुआ वहां 1 मिनट बाद मैं जाने वाला था। ब्लास्ट में कई लोगों की जानें गईं।

मैंने पहली बार आंखों में सामने लोगों को मरते देखा। हादसे के एक घंटे बाद फिर से मैच शुरू कर दिया गया। लोगों को स्टेडियम से बाहर निकाल दिया गया था। मैंने उस दहशत भरे माहौल में कमेंट्री की। ब्लास्ट की खबर इंडिया पहुंची तो घरवाले डर गए। उन्होंने कहा तुम जल्दी से वापस आ जाओ पर मैंने तय किया कि मैं डरकर वापस नहीं जाऊंगा जो वादा किया है, पूरा करूंगा। पूरी सीरीज तक सभी मैचों में कमेंट्री करने के बाद लौटा।

ब्लास्ट से डरकर भागे पाकिस्तानी खिलाड़ी 

हादसे के बाद पाकिस्तान के पांच खिलाड़ी बुरी तरह डर गए थे। उनके क्रिकेट बोर्ड और सरकार ने उन्हें एयरलिफ्ट करके ले गए। ब्लास्ट के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों के अफगानिस्तान से चले जाने पर जनता में उनके लिए बड़ा गुस्सा था। मैं वहीं रुका और सभी मैच में कमेंट्री की तो पूरे देश में मुझे हीरो बना दिया। सोशल मीडिया में काफी ट्रेंड हुआ कि इंडिया और वहां के लोग बहादुर हैं। वह अफगानिस्तान के सच्चे दोस्त हैं। पाकिस्तानी खिलाड़ी डरपोक हैं।

एशेज में कमेंट्री करना सपना है 

मेरा ड्रीम सचिन के खेलते समय बीबीसी पर कमेंट्री करने का था। अफसोस कि मुझे इंटरनेशनल मैच में कमेंट्री का मौका मिला तब तक तेंदुलकर रिटायर्ड हो गए। अब मैं इंग्लेंड और आस्ट्रेलिया के बीच होने वाली एशेज टेस्ट सीरिज में बीबीसी पर कमेंट्री करना चाहता हूं। मेरे अब तक सफर में सबसे बढ़िया मोमेंट वेस्टइंडीज और अफगानिस्तान के बीच हुए 1 टेस्ट, 3 ओडीआई और 3 टी20 सीरिज में कमेंट्री करना रहा है।

जहां मैंने वेस्टइंडीज के पूर्व क्रिकेटर इयान बिशप और कमेंटेटर एलिस्टर केमबेल के साथ कमेंट्री करना रहा है। हाल ही मैं बांग्लादेश में इंडिया के आईपीएल की तरह बीपीएल प्रीमियर लीग में कमेंट्री के लिए बात चल रही है। इसके बाद कई इंटरनेशनल क्रिकेट मैच में भी कमेंट्री करने का ऑफर है।

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