कटनीजबलपुरदेशन्यूजबड़ी ख़बरमध्यप्रदेश

केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा

केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा

केसरवानी वैश्य समाज द्वारा संपूर्ण मध्यप्रदेश में केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने को लेकर प्रत्येक जिले में ज्ञापन सौंपा जा रहा है।
इसी तारतम्य में केसरवानी वैश्य समाज जिला कटनी द्वारा मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी कटनी को सौंपा गया।
केसरवानी वैश्य समाज कटनी के अध्यक्ष नवीन केसरवानी ने जानकारी देते हुए बताया कि काका कालेलकर समिति की रिपोर्ट एवं बी. पी. मंडल आयोग द्वारा प्रस्तुत अनुशंसा के आधार पर, भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय के संकल्प संख्या 12011 / 68 / 93 बी. सी. सी. (सी.) दिनांक 10 / 09 / 1993 तथा भारत सरकार का राजपत्र असाधारण भाग-1, खंड -1 दिनांक 8 दिसंबर 2011 / अग्रहायण 17, 1993 सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के संकल्प के अनुसार केसरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने को कहा गया था।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में, “केसरवानी” जाति के लोग “केसरवानी” “केशरवानी” “खरे” “खरिया” “केसरी” “केशरी” “गुप्ता” “बानी” अन्य इत्यादि उपनामों (सरनेम) से रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, कटनी, जबलपुर, दमोह, सागर इत्यादि जिलों में बहुसंख्यक रूप से एवं पन्ना, भोपाल, इंदौर जिलों में भी सैकड़ों की तादाद में सपरिवार निवासरत हैं।
मध्यप्रदेश में निवासरत “केसरवानी” जाति आर्थिक, शैक्षणिक, राजनीतिक एवं सामाजिक रूप से, अन्य जातियों के समाज की तुलना में, पिछड़ी हुई जाति है । विशेषकर उन जातियों की तुलना में, जिन्हें मध्यप्रदेश राज्य में, अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण प्राप्त है।
सन 1953 में, राष्ट्रीय स्तर पर विकास की राष्ट्रीय मानकों की कसौटी पर, गैर अजा, अजजा जातियों का सर्वेक्षण “काका कालेलकर समिति” द्वारा किया गया था । जिन्होंने, “केसरवानी” जाति को “पिछड़ी जाति” में माने थे।
सन 1979 में गठित बी. पी. मंडल आयोग ने भी, अपने प्रतिवेदन के भाग -2 पृष्ठ 171 में, “केसरवानी” जाति को, “अन्य पिछड़ा वर्ग” में सम्मिलित किए जाने हेतु अनुशंसित किए हैं।
उपरोक्त अनुशंसाओं को लागू किए जाने हेतु, माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका, “इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार” में दिए गए निर्णय के अनुपालन में, भारत सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय ने, सभी प्रदेशों को अन्य अनुशंसित जातियों के साथ “केसरवानी जाति” को भी आरक्षण प्रदान करने हेतु, संकल्प संख्या 12011 / 68 / 93 बी.सी.सी.(सी.) दिनांक 10 / 09 / 1993 निर्गत किया था।
यह बताना भी समीचीन होगा कि उपरोक्त संकल्प पत्र के आधार पर ही, बिहार राज्य सरकार द्वारा 1994 में, एवं राज्य विभाजन के बाद झारखंड राज्य सरकार द्वारा 2012 में, “केसरवानी जाति” को “अन्य पिछड़ा वर्ग” का आरक्षण प्रदान किया गया है।
मध्यप्रदेश में आजादी के सात दशक बाद भी, “केसरवानी जाति” आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक दृष्टिकोण से, अत्यधिक पिछड़ा हुआ है । समाज का 80 से 90 प्रतिशत परिवार जीविकोपार्जन के लिए, “हाथ ठेला” “पान दुकान” “सब्जी” “चाट” “फट्टा” “छोटी-मोटी किराना दुकान” सहित “दैनिक मजदूरी” करने को विवश है तथा शासकीय सेवाओं में भी केसरवानी समाज की सहभागिता नगण्य है।
चूंकि “केसरवानी समाज” मध्यप्रदेश राज्य में, जनसंघ की स्थापना काल से ही अब तक, “भारतीय जनता पार्टी” की राजनैतिक यात्रा में, तन-मन-धन से सतत् समर्पित है, जिसके कारण अन्य राजनैतिक पार्टियों की सरकारों ने, “केसरवानी समाज” की दशा और दिशा पर, कभी ध्यान नहीं दिए और ना ही समाज के साथ न्याय किए।
पूरे मध्यप्रदेश के सभी जिलों में ज्ञापन सौंपकर और धरना प्रदर्शन कर केशरवानी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है।
ज्ञापन सौंपते समय गोपालाचारी गुप्ता, मोहन लाल गुप्ता, यमुना प्रसाद केशरवानी, नवीन केसरवानी, विपिन केसरवानी, मनोज गुप्ता,सहित अन्य लोगों की उपस्थिति रही।।

संवाददाता:-अज्जू सोनी उमरिया पान ढीमरखेड़ा कटनी

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button