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बड़ी खबर किस्सा कुर्सी का जिला शिक्षा कार्यालय में 1 कुर्सी में 3 डीईओ कर रहे राज सीधी का दुर्भाग्य

राजनीति का अखाड़ा बना है जिला शिक्षा कार्यालय सीधी इन दिनों एक कुर्सी में तीन डीईओ भांज रहे हैं बहुंका 

इन दिनों जिला शिक्षा कार्यालय राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। एक कुर्सी में तीन-तीन डीईओ अपनी पहुंच और पावर को लेकर बहुंका भांज रहे हैं। शिक्षा विभाग की एक महीने से बदलती तस्वीर को देखकर ऐसा आभाष हो रहा है कि विभाग में पद लोलुपता का ग्रहण लग चुका है। जिला शिक्षा अधिकारी की कुर्सी से प्रभारी राधेश्याम द्विवेदी को हटाकर प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी 10 दिसंबर 22 को पवन कुमार सिंह को बनाया गया। उनकी कार्यशैली के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भरे मंच से पवन कुमार सिंह को निलंबित करने की घोषणा की। तत्पश्चात रीवा संभाग के कमिश्रर एवं उक्त क्रम में कलेक्टर सीधी द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी पवन कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किए जाने का आदेश प्रेषित कर दिया गया। उक्त कार्यवाई के बाद विभागीय व्यवस्था बनानें के लिए कलेक्टर के मौखिक आदेश से डीएन दुबे 11 से 16 दिसंबर 22 तक प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सीधी का पदभार संभाल रहे थे।

इसके बाद कलेक्टर सीधी साकेत मालवीय द्वारा प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से नवल सिंह मूल पद प्राचार्य उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं वर्तमान पद प्राचार्य डाइट जिला सीधी को जिला शिक्षा अधिकारी सीधी का अतिरिक्त प्रभार आगामी आदेश तक अस्थाई रूप से सौंपे जाने का आदेश जारी किया गया। उक्त आदेश के बाद नवल सिंह जिला शिक्षा अधिकारी का कार्य संभालने लगे किंतु मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल के उप सचिव द्वारा पत्र क्रमांक 1979 द्वारा आदेश जारी कर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अजगरहा जिला रीवा के प्राचार्य डॉ. प्रेमलाल मिश्रा को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सीधी पदस्थ कर दिया गया है। उक्त आदेश पर डॉ. प्रेमलाल मिश्र भी अगले दिन सीधी आकर कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी का पदभार संभाल लिए। 

शिक्षा विभाग पर लगा पद लोलुपता का ग्रहण 

उधर निलंबित जिला शिक्षा अधिकारी सीधी पवन सिंह अपने निलंबन आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट से स्टे पाकर वो भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बैठने लगे हैं। 

वर्तमान में जिला शिक्षा विभाग सीधी में दो जिला शिक्षा अधिकारी बैठ रहे हैं। इनमें एक स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल से जारी आदेश के अनुसार डॉ. प्रेमलाल मिश्र हैं, तो दूसरे हाई कोर्ट से स्टे लेकर पवन कुमार सिंह भी कार्यालय में बैठ रहे हैं। उधर जिला शिक्षा अधिकारी सीधी डॉ. प्रेमलाल मिश्रा ने 21 दिसंबर 2022 को आदेश जारी कर कहा है 

कि मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के आदेशानुसार उनके द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी सीधी का पदभार ग्रहण कर लिया गया है। अत: समस्त शासकीय एवं अर्धशासकीय पत्र मेरे नाम से भेजे जाएं। बताया गया है कि विभागीय कार्य भले ही जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. प्रेमलाल मिश्र के आदेश से संचालित हो रहे हैं लेकिन उनके आदेश पर ही कुछ विभागीय कर्मचारी भ्रम की स्थिति निर्मित किए हुए हैं। हाई कोर्ट से स्टे लेकर कार्यालय में बैठ रहे पवन कुमार सिंह भी कुछ मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

बताते चलें कि जिला शिक्षा अधिकारी सीधी के पद पर शासन की ओर से नियमित पदस्थापना न होने के कारण सालों से प्रभार संभालने के लिए जिले के प्राचार्यों में होड मची हुई थी। 

करीब दो वर्ष तक प्राचार्य नवल सिंह प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सीधी के पद पर कार्यरत थे। उनकी कार्यशैली अनुकूल न होने के कारण लगातार शिकायतें पहुंच रही थी। लिहाजा उन्हें डाइट प्राचार्य सीधी पद पर स्थानांतरित करते हुए उनके स्थान पर पवन कुमार ङ्क्षसह को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश पर पदस्थ कर दिया गया था। किंतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया तब जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सहायक संचालक शिक्षा विभाग डीएन द्विवेदी को दे दिया गया। डीएन द्विवेदी को डीईओ का प्रभार दिए जाने का विरोध होने पर पुन: नवल सिंह को डीईओ का प्रभार सौंप दिया गया।

जो जिले के जन प्रतिनिधियों को रास नहीं आया और शासन स्तर से रीवा में पदस्थ प्राचार्य डॉ. प्रेमलाल मिश्रा को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंप दिया गया। तब तक निलंबन के विरुद्ध पवन कुमार सिंह ने हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर डीईओ की कुर्सी पर काबिज हो गए।

जिले का है दुर्भाग्य 

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ये सीधी जिले का दुर्भाग्य है कि यहां के सत्ताधारी दल के लोगों के संरक्षण में खुलेआम इतने गंभीर पदों का दायित्व निर्वहन करने को लेकर राजनीति होती रहती है

और सत्ताधारी दल के लोग और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कभी ऐसे मामलों में जिले के हित को ध्यान में रखते हुए उसे सुलझाने का प्रयास नहीं करते हैं। उनका पूरा इंटरेस्ट सिर्फ अपने आदमी को कुर्सी पर बैठाने को लेकर होता है ना किसी भी जिले के विकास को लेकर। 

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