रीवा

मासूम बच्चे को मिली गरीब होने की सजा शिक्षा के व्यापारियों ने किया ऐसा सुलूक

पिता स्कूल फीस नहीं भर पाए तो प्रिंसिपल ने 4थी क्लास के बच्चे को धुप में घंटों नंगे पैर खड़े रहने की सज़ा देदी 

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परखच्चे उड़ा देने और शिक्षा के अधिकार के हनन का मामला सामने आया है. जहां गढ़ में मौजूद एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल ने चौथी क्लास में पढ़ने वाले 7-8 साल के मासूम को ऐसी सजा दी है जिसकी प्रैक्टिस वो खुद कर ले तो पैरों में फफोले पड़ जाएं। प्रिंसिपल ने छात्र को नंगे पैर घंटों धुप में खड़े रहने की सज़ा दी थी और वो भी सिर्फ इस लिए क्योंकि उसने अपने स्कूल की फीस जमा नहीं की थी. फीस को लेकर छोटे बच्चे के साथ प्राचार्य द्वारा किया गया ऐसा टॉर्चर एमपी के एजुकेशन सिस्टम का सिर झुका देता है

विस्तार से मामला समझिए 

फीस जमा नहीं हुई तो धुप में खड़ा कर दिया मामला गढ़ क्षेत्र के प्राइवेट स्कूल ‘सरस्वती ज्ञान मंदिर हाई स्कूल’ का है. जहां 4th क्लास में पढ़ने वाले दीपांश द्विवेदी को स्कूल प्रिंसिपल ने पूरी क्लास के सामने फीस को लेकर न सिर्फ बेज्जत किया बल्कि उस मासूम को क्लास के बहार बिना जूतों के धुप में घंटों खड़े रहने की सज़ा दे डाली। दीपांश ने बताया कि प्रिंसिपल सर हमेशा उसे फीस को लेकर ऐसी ही सज़ा देते हैं. उसने कहा कि उसे हमेशा एक-दो घंटे के लिए यह सज़ा दी जाती है. इस दौरान उसके कई पीरियड मिस हो जाते हैं. बच्चे ने ये भी कहा कि उसकी बड़ी बहन भी उसी स्कूल में पढ़ती है, और स्कूल वाले जानबूझकर उसे परेशान करने के लिए बच्ची के रिकॉर्ड में डेट ऑफ़ बर्थ बदल देते हैं

पिता किसान हैं और छोटी सी दुकान चलाते हैं 

 जिस दीपांश द्विवेदी को सिर्फ इस लिए इतनी कठोर सज़ा दी जा रही है क्योंकि उसने स्कूल की फीस जमा नहीं है की है, उसने पिता सुरेंद्र दुबे छोटे किसान हैं और साइकल-बाइक रिपेयरिंग का काम करते हैं. परिवार की माली हालत ठीक नहीं है. गरीब ब्राह्मण परिवार के पास कोई बैकअप नहीं है मगर इसका मतलब ये तो नहीं है कि उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा से वांछित कर दिया जाए 

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