रीवा के इस किसान ने परंपरागत खेती छोड़ अमरूद का सजाया बाग हुई इतनी कमाई!
रीवा के इस किसान ने परंपरागत खेती छोड़ अमरूद का सजाया बाग हुई इतनी कमाई!
रीवा संभाग में बेहद उपजाऊ जमीन होने के कारण खेती और बागवानी की यहां ढेर सारी संभावनाएं हैं. जिले के किसानों को अगर प्रोत्साहित किया जाए और सरकार की योजनाओं के साथ जोड़ा जाए तो क्षेत्र खेती में खूब तरक्की करेगा
इसकी एक बड़ी वजह यहां उपजाऊ जमीन के साथ नहर में मिलने वाला सिंचाई का पानी भी है
रीवा जिले के किसान व्याघ्र देव सिंह ने परंपरागत खेती को छोड़ खेती को लाभ का धंधा बनाने के उद्देश्य से आम और अमरूद की खेती में अपनी किस्मत आजमाई
जिसमें उन्हें 10 गुना ज्यादा फायदा मिला है और अब उन्होंने पूरी तरह से खेती को लाभ का धंधा बना लिया है
धान और गेहूं की खेती में लाभ नहीं हुआ तो व्याघ्र देव सिंह ने अमरूद की खेती शुरू कर दी. पहले तो उन्होंने एक एकड़ की अमरूद की खेती की
लेकिन जब उन्होंने इस खेती में फायदा देखा तो अब उन्होंने पूरी खेती ही आम और अमरूद की शुरू कर दी
एक एकड़ में एक लाख की बचत
किसान व्याघ्र देव ने बताया कि इस खेती से अब सालाना 3 लाख से ज्यादा लाभ पा रहे हैं. उनका कहना है यदि एक एकड़ में परंपरागत खेती की जाए तो लागत को काट कर साल में 15 हजार रुपये बचते थे
लेकिन अमरूद में सीधे एक लाख रुपये और कभी कभी एक इससे ज्यादा बच जा रहा है
यूपी और छत्तीसगढ़ में सप्लाई
किसान ने बताया कि उन्होंने अपने बगीचे में इलाहाबाद सफेदा प्रजाति के अमरूद की खेती की है
यह अमरूद उत्तर प्रदेश के फैजाबाद, बनारस और गोरखपुर सहित अन्य शहरों में जाते हैं. इसके अलावा उनके अमरूद छत्तीसगढ़ में भी जाते हैं
अमरूद की खेती में नुकसान कम
अमरूद की खेती का अनुभव बताते हुए किसान ने बताया कि अमरूद की खेती में नुकसान की संभावना कम रहती है. ओला बारिश और सूखे का ज्यादा असर नहीं होता है
जबकि अनाज की खेती प्रकृति पर आधारित है. कई बार पूरी की पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है