रीवा के सुंदरजा हमको भी एक विशिष्ट दर्जा मिला है वह देश ही नहीं बल्कि विदेश तक में काफी चर्चाओं में रहा है इसका स्वाद और सुगंध आम की अन्य किस्म से बेहतर है यह रीवा के सीमित क्षेत्र में पाया जाता है इसकी पहचान बिल्कुल विशिष्ट है यही वजह है कि इस GI टैग भी मिल चुका है महेश आम के बाद रीवा में एक विशेष प्रकार का अमरूद अस्तित्व में आया है जिसका नाम धारीदार अमरूद है जो इन दिनो मे कभी चर्चाओं में है।
रीवा जिले की जमीन आम और अमरूद के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है रीवा में सुंदरजा आम की तरह ही रीवा के कुछ अमरुद भी बेहद प्रसिद्ध हैं रीवा की कृषि अनुसंधान केंद्र कठुलिया में 80 से ज्यादा प्रजाति के अमरुद पर शोध कार्य चल रहा है इन्हीं अमरूद में रीवा की उत्पत्ति धारीदार अमरुद भी है।
फल अनुसंधान केंद्र कठुलिया वैज्ञानिक तक सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है रीवा में अमरूद की 80 प्रजातियों पर कार्य शोध चल रहा है सबसे ज्यादा फेमस यहां रीवा की ओरोजेनिक धारीदार अमरुद है यहां के पुराने बाग की इस प्रकार के अमरूद का चयन करके वैरायटी को डेवलप किया जाता है।
मध्य प्रदेश सरकार के सामने जब हमने इस वैरायटी को प्रेजेंट किया तो इसे स्टेट वैरायटी रिलीज कमेटी के द्वारा अप्रूव कर लिया गया है रीवा के लिए गर्व की बात है सुंदर जा आम के बाद यहां के अमरुद को भी पहचान मिलने वाली है जल्द ही यह देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी इसका स्वाद पहुंचने वाला है।
धारीदार अमरूद की खासियत यह है कि उसमे 6 धारियां होती है इसीलिए इसको धारीदार अमरुद भी कहा जाता है आमतौर पर अमरूद का बीज कठोर होता है लेकिन इसका बी काफी मुलायम है और इलाहाबादी सफेद से भी ज्यादा इसका बी सॉफ्ट है इसीलिए समरूप को बेहद पसंद किया जा रहा है इस अमरुद को सामान्य तापमान पर 7 से 8 दिनों तक रखा जा सकता है।
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