रीवा जिले की मऊगंज विधान सभा के बारे में कुछ रोचक बातें,नईगढ़ी का नाम कैसे पड़ा

रीवा जिले की बड़ी विधानसभा मऊगंज अपने आप में ही रोचक है। 2021 जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 26,420 से 22,989 कम से कम रही पर ये जनसंख्या 22 वर्ष पूर्व की रही पर अब जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है। आगामी कुछ महीने या वर्षों में मऊगंज विधानसभा से एक जिला बन जाएगा। यहां की जनता उम्मीद कर रही जिला बनने के बाद मऊगंज का विकास तीव्र गति से होगा। बहुती जलप्रपात और नयाब पत्थरों से माना जाता है मऊगंज। कहा जाता है जो पत्थर इस क्षेत्र में है वो पत्थर और कही नही मिलता,बावजूद इसके इस क्षेत्र का उदगम ना हो सका। जानकारी अनुसार अगर मऊगंज के पत्थरों को सही दिशा मिल जाए तो ये क्षेत्र सिंगरौली जैसा विकास कर सकता है। पर्यटक स्थल और व्यवसाय स्थल होने के बावजूद भी विकास ना होना एक सवाल ही है।

मऊगंज में कुशल राजनीति
इस क्षेत्र में नेताओ ने कुशल राजनीति की है। अपने अपने स्तर तक यहां का विकास किया है । मऊगंज में गोरमा डैम,नैया डैम, विकास की वही शुरुआत थी। जिसके बाद अभी तक कुछ बड़े कार्य नही दिखे। यहां बीएसपी,कांग्रेस,बीजेपी का बोल बाला रहा। सीमावर्ती क्षेत्र होने की वजह से ना राज्य और ना ही केंद्र का ध्यान लग पाया। व्यवसाय की दृष्टि से मऊगंज में अब कुछ भी नहीं हालांकि वर्तमान विधायक के द्वारा यह कहा जा रहा है कि जल्द ही मऊगंज में इंडस्ट्रीज एरिया स्थापित की जाएंगी । अगर ऐसा हो जाता है तो वास्तविक में मऊगंज को एक स्तंभ मिल सकता है। हालांकि यहां के नेताओं ने मऊगंज के विकास के बारे में सोचा जरूर है। पर क्षेत्र का विकास ना हो पाना आउटर मुख्य कारण हो सकता है।

क्या रहा मऊगंज का इतिहास
उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश में स्थित इस उपजाऊ क्षेत्र में राजपूतों के सेंगर कबीले के आगमन के साथ मऊगंज का इतिहास ग्यारहवीं शताब्दी का है। इसे पहले सेंगर राजाओं के शासन के तहत ‘मऊ राज’ के रूप में जाना जाता था, जो इस क्षेत्र में बस गए और मऊगंज, मनगवां और बिछराहता में किलों का निर्माण किया ।

सेंगर जालौन से इस क्षेत्र में आया और इस छोटे से राज्य पर शासन किया और प्रसिद्ध रूप से कलचुरियों से इसका बचाव किया। हालाँकि, चौदहवीं शताब्दी में किसी समय, बघेलों ने मऊ राज पर आक्रमण किया। उन्होंने मऊ की लड़ाई में सेंगरों को हराया और उनके किले को नष्ट कर दिया और अंततः इसे बघेलखंड के राज्य में मिला लिया । बाद में सेंगरों के वंशजों ने एक नए किले का निर्माण किया और इसका नाम नईगढ़ी रखा जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘एक नया किला’।