रीवा सीधी में मौजूद है देश की सबसे बड़ी भैरव बाबा की पत्थर प्रतिमा जानिए कैसे हुई खोज
रीवा जिले में गुढ़ के नजदीक खामडीह में भैरव प्रतिमा स्थित है। दसवीं और 10वीं शताब्दी के मध्य की निर्मित भैरवनाथ की आदमकद प्रतिमा विंध्य क्षेत्र के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से जुड़ी है। इसे देखते विश्वभर से लोग आते हैं।
राज्य संरक्षित स्मारक है घोषित
मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 का (12) तथा नियम 1976 के अधीन भैरवनाथ प्रतिमा को प्रांतीय महत्व का राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
इसे किसी तरह की हानि पहुंचाने अथवा दुरुपयोग करने पर तीन साल का कारावास और अर्थदंड की सजा का प्रावधान किया गया है। इस आशय की सूचना का बोर्डभी मंदिर परिसर के पास लगाया गया है।
कुछ ऐसा है महत्व
गुढ़ के नजदीक खामडीह में भैरव प्रतिमा स्थित है। इसका निर्माण 10वीं-11वीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है। प्रतिमा की लंबाई 8.50 मीटर तथा चौड़ाई 3.70 मीटर है। दाई ओर हाथ में रुद्राक्ष की माला है, दाईं ओर के ऊपरी हाथ में सर्प और नीचे के हाथ में कलश है।
गले में रुद्राक्ष की माला और सर्प लिपटे हुए हैं। कमर में सिंह मुख का अंकन है। प्रतिमा के दोनों ओर एक खड़े हुए-एक बैठे हुए पूजक का अंकन है। इस तरह की विशालकाय और कलाकृतियों से सजी देश की चिह्नित प्रतिमाओं में से यह एक है।
सुरक्षा के चलते प्रतिमा का घेरा बनाया
कुछ महीने पहले ही पुरातत्व विभाग ने यहां पर सुरक्षा के मद्देनजर कुछ कार्य कराए थे। जिसमें प्रतिमा पर तेल, पानी और सिंदूर चढ़ाए जाने से होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए चारों ओर रेलिंग बना दी गईहै जिससे लोग प्रतिमा को छू नहीं सकते, केवल उसे देख सकते हैं।
इसके अलावा बारिश के दिनों में प्रतिमा तक पानी के छीटे पड़ते थे, उसे रोकने के लिए भी मंदिर की दीवार बढ़ाई गई
परिसर का कायाकल्प कराया जाएगा
हालांकि लंबे समय तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहने के चलते यहां पर विकास नहीं हुआ है। सरकार ने अब कहा है कि इसके जीर्णोद्धार की नए सिरे से व्यवस्था बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में किए गए घोषणा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, अब एक बार फिर से उद्योग मंत्री ने कहा है कि भैरवनाथ मंदिर परिसर का कायाकल्प कराया जाएगा।
गुढ़ के नजदीक बदवार पहाड़ में सोलर पॉवर प्लांट का भूमिपूजन करने पहुंचे मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने घोषणा की थी कि सोलर पॉवर प्लांट की तीनों कंपनियों द्वारा सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत 15 करोड़ रुपए क्षेत्र के विकास के लिए खर्च किए जाएंगे।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि पहले साल ही यह कार्य कराया जाना है, इस कारण जल्द ही कंपनियां काम भी शुरू कर देंगी। इस घोषणा के बाद अब तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है।