विंध्य में शिक्षाकर्मी घोटाले में सोहावल CEO 5 साल की सजा सुनते ही आया हार्टअटैक
शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में फैसला सोहावल जनपद के तत्कालीन CEO को 5 साल कैद और जुर्माना सजा सुनते ही सीने में दर्द उठा
सतना की सोहावल जनपद पंचायत में शिक्षा कर्मियों की भर्ती में हुई गड़बड़ी के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष अदालत ने तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत सोहावल को 5 साल की कैद और 27 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। सजा पड़ते ही अभियुक्त को सीने में दर्द उठ गया, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय पीसी एक्ट सतना ने तत्कालीन जनपद सीईओ अनिल कुमार तिवारी पिता एमपी तिवारी निवासी खरहरी थाना सेमरिया जिला रीवा को दोषी करार दिया है। आरोपी को भादवि की धारा 120 बी में 2 वर्ष के कारावास और 2 हजार रु जुर्माना, धारा 467 में 5 वर्ष की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना, धारा 468 में 3 वर्ष के कारावास और 10 रुपए का जुर्माना और धारा 471 में 2 वर्ष की जेल और 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
मीडिया प्रभारी हरि कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि मप्र स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के आदेश दिनांक 24/01/1998 के पालन में शिक्षाकर्मियों की भर्ती अलग-अलग जिलों में 1998 में प्रारंभ की गई थी। जिसके तारतम्य में सतना जिले की अलग-अलग जनपद पंचायतों में शिक्षाकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया दिनांक 25/05/1998 को प्रारंभ की गई थी। जनपद पंचायत सोहावल जिला सतना में कुल 209 पदों पर शिक्षाकर्मियों की भर्ती की गई थी
सतना जिले में शिक्षाकर्मियों की भर्ती में व्यापक अनियमितता और भ्रष्टाचार कर गलत नियुक्तियां किए जाने की शिकायत पर लोकायुक्त ने रिपोर्ट दर्ज की थी। जांच के दौरान अलग-अलग जनपद पंचायतों में शिक्षाकर्मियों की भर्ती में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिलने पर अलग-अलग जनपद पंचायतों अमरपाटन, सोहावल, रामपुर बाघेलान और मझगवां के मामले में अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुई थीं
जनपद पंचायत सोहावल के संबंध में दर्ज अपराध की जांच में पाया गया कि यहां 194 पदों पर विज्ञापन प्रकाशित करने के बाद 14 पद उपसंचालक शिक्षा सतना द्वारा पुन जोड़े गए थे। जिसके संबंध में न तो कोई विज्ञापन दिया गया और न ही आरक्षण नियमों का पालन किया गया।
यहां 1 नियम के विपरीत एक पद के मुकाबले कई अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। सामान्य प्रशासन समिति और स्थाई शिक्षा समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों ने अपने-अपने परिवार जनों और निकटतम रिश्तेदारों को नियम विरूद्ध लाभ पहुचांने के उद्देश्य से उन्हें साक्षात्कार में बुलाया। इतना ही नहीं उन्हें मनमाने ढंग से नंबर दिए गए और इस तरह अयोग्य अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया गया। अभ्यर्थी चयन की यह प्रक्रिया मप्र पंचायत शिक्षाकर्मी भर्ती तथा सेवा शर्ते नियम 1997 का उल्लंघन कर अपनाई गई थी।
शिक्षा कर्मियों की भर्ती में हुए इस घोटाले में सोहावल जनपद के तत्कालीन सीईओ अनिल कुमार तिवारी, तत्कालीन बीईओ सूर्यबली त्रिपाठी और अन्य 8 लोगों के विरूद्ध धारा 420, 120बी, 467, 468, 471 भादवि एवं धारा 13 (1) डी, 13 (2) का आरोप प्रमाणित पाए जाने पर 28 अक्टूबर 2006 को अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। इस मामले में 16 वर्ष तक चले विचारण के दौरान तत्कालीन बीईओ सूर्यबली त्रिपाठी सहित 3 आरोपियों की मृत्यु हो गई। मामले में शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी फखरूददीन ने पैरवी की
सजा मिलते ही सीने में उठा दर्द
अदालत में सजा सुनाए जाने के बाद अभियुक्त अनिल तिवारी को दिल का दौरा पड़ गया। उसे मेडिकल के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। जहां उसने सीने में दर्द की शिकायत की। डॉक्टर्स ने जांच के बाद उसे जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया। निगरानी के लिए अस्पताल में पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं