रीवा

विंध्य में है ऐसा शिवालय विश्वकर्मा ने किया एक रात में निर्माण जहां आज भी मौजूद है चमत्कारी मणि

विंध्य में मौजूद है एक ऐसा मंदिर जिसका एक रात में हुआ था निर्माण आज भी मौजूद है चमत्कारी मणि 

जिले के देवतालाब में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में सावन माह में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। लाखों लोग मंदिर में दूरदराज से आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। देवतालाब मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ था।

ऐसा कहा जाता है कि सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ। पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की भी उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग रहस्यमयी है दिन में चार बार रंग बदली है।

यह बताया जाता है की 

एक किदवंती है कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब स्थित शिव के दर्शन के हठ में आराधना में लीन थे। महर्षि को दर्शन देने के लिए भगवान यहां पर मंदिर बनाने के लिए विश्वकर्मा भगवान को आदेशित किया। उसके बाद रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिव लिग की स्थापना हुई। कहते है कि एक ही पत्थर पर बना हुआ अदभुत मंदिर सिर्फ देवतालाब में स्थित है।

मंदिर के नीचे जमीन में आज भी मैं है चमत्कारी मणि 

एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमे चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छुओं के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया है। मंदिर के ठीक सामने एक गढी मौजूद थी। किवदंती है कि इस मंदिर को गिराने की जैसे ही राजा ने योजना बनाई उसी वक्त पूरा राजवंश जमीन में दबकर नष्ट हो गया।

इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराजा ने यही पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया है। ऐसा माना जाता कि देवतालाब के दर्शन से चारोधाम की यात्रा पूरी होती है। इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुडी हुई। इसीलिए यहां प्रति वर्ष तीन मेले लगते है और इसी आस्था से प्रति माह हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।

देवतालाब के जल के बिना अधूरी होती है चारों धाम की यात्रा 

देवतालाब शिव मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। चारों धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की पूजा तब तक पूरी नहीं होती है जब तक देवतालाब शिव मंदिर में जल नहीं चढ़ा देते हैं। चारों धाम की यात्रा करने के बाद श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचकर भोलेनाथ का पूजन करते हैं। 

यहां मौजूद तालाब से ही जगह का नाम पड़ा देवतालाब 

शिव की नगरी देवतालाब का नाम ही तालाब से मिलकर बना है। देवतालाब मंदिर के आसपास कई तालाब हैं। वैसे देवतालाव में कई तालाबों का होना यहां की विशेषता है। शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब है यह शिव-कुण्डके नाम से प्रसिद्ध है।

शिव- कुण्ड से जल लेकर ही श्रद्धालु सदाशिव भोलेनाथ के पंच-शिवलिंग विग्रह में चढ़ाने की परंपरा रही है। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों के बुजुर्गों के अनुसार मान्यता ऐसी है कि शिवकुण्ड से पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में जल चढ़ाया जाता है 

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