मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों और नौकरी की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी राहत और उम्मीद की खबर आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में “मप्र लोकसेवा पदोन्नति नियम 2025” को मंजूरी दे दी गई है। यह फैसला उन 4.5 लाख कर्मचारियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं, जिनकी पदोन्नति 2016 से रुकी हुई थी।
अब साल में दो बार डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) की बैठक होगी — पहली जून-जुलाई और दूसरी सितंबर-अक्टूबर में। इसका सीधा लाभ उन अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलेगा, जिनकी वर्षों से पदोन्नति रुकी थी। अब उनका ओहदा बढ़ेगा और परिवार का सामाजिक सम्मान भी।
युवाओं के लिए भी खुशखबरी
दो साल की पदोन्नति प्रक्रिया पूरी होते ही निचले स्तर के करीब 2 लाख पद रिक्त हो जाएंगे, जिन पर अगले चार सालों में युवाओं को स्थायी नियुक्ति मिलेगी। इससे बेरोजगारी घटेगी और नए अवसर पैदा होंगे।
आंगनबाड़ी और अन्य विकास कार्यों को भी मंजूरी
कैबिनेट में प्रदेशभर में 459 नई आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का निर्णय भी लिया गया है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और सुपरवाइजर के नए पद सृजित किए जाएंगे। साथ ही, पांढुर्ना, मैहर और मऊगंज जिलों में कोषालय कार्यालय शुरू किए जाएंगे। बिजली कंपनियों की अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए 5163 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी गई।
आरक्षण व्यवस्था यथावत
मोहन सरकार ने 9 साल पुराने पदोन्नति में आरक्षण विवाद को उसी रूप में बरकरार रखा है। एससी वर्ग को 16% और एसटी वर्ग को 20% आरक्षण मिलेगा। पहले इन वर्गों की पदोन्नति होगी, फिर मैरिट के आधार पर बाकी कर्मचारियों की। यह नीति एक संतुलित ढांचा प्रदान करती है जो संविधानसम्मत है।
मोहन सरकार की यह नई पदोन्नति नीति सिर्फ कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए विकास का एक नया रास्ता खोलने जा रही है। जहां एक ओर वरिष्ठ कर्मचारियों को उनके हक मिलेंगे, वहीं युवा वर्ग के लिए सरकारी नौकरी के हजारों नए अवसर सृजित होंगे।