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कर्मचारी-शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु पर बड़ी अपडेट, 5 वर्ष की वृद्धि की मांग, 60 से बढ़कर होंगे 65 वर्ष! हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

देशभर में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु की मांग तेज हो गई है। लगातार कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाए जाने की बढ़ती मांग के बीच कई राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाया गया है। वहीं कई राज्य सरकार इसकी प्रक्रिया में है। इसी बीच निजी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज में काम करने वाले व्याख्याताओं, प्रधानाचार्य, एसोसिएट प्रोफेसर द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा निजी, सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेज में काम करने वाले व्याख्याताओं, प्रधानाचार्य और एसोसिएट प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 65 करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया है। शिक्षकों सहित एसोसिएट प्रोफेसर, व्याख्याताओं और प्रधानाचार्य की मांग थी की उनकी सेवानिवृत्ति आयु को 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जाए। इससे पूर्व हाई कोर्ट द्वारा राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय में सेवारत शिक्षकों के लिए भी सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाए जाने वाली मांग की याचिका को खारिज कर दिया गया था।

अदालत का फैसला

अदालत ने अपनी सुनवाई में कहा कि प्रत्येक श्रेणी को अलग मान्य के लिए विधि अलग होती है और एक अलग वर्ग बनाने का औचित्य सिद्ध करती है। वहीं इसके लिए भिन्नता के आधार पर सेवानिवृत्ति आयु तय की गई है। इतना ही नहीं अपने पूर्व के निर्णय को दोहराते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि निर्धारित करना राज्य का नीतिगत निर्णय है।

यूजीसी का बयान

वही सुनवाई के दौरान यूजीसी द्वारा अदालत में स्पष्ट किया गया था कि रिटायरमेंट आयु पर यूजीसी की योजना सर्वमान्य नहीं है, जब तक की राज्य द्वारा इस योजना को विशेष रूप से अपनाने की मांग नहीं की जाती है। केंद्र सरकार ने यूजीसी की योजना को अपनाने के लिए से राज्य के निर्णय पर छोड़ दिया है। ऐसे में सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि का फैसला पूर्ण रूप से राज्य सरकार का होगा। वहीं राज्य सरकार चाहे तो शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि कर सकती है।

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