तमिलनाडु से बिहारी क्यों कर रहे पलायन, मोदी युग में भी एक राज्य क्यों रह गया पीछे बिहारियो को क्यों मरवा रही तमिल सरकार
13 साल बाद एक बार फिर से बिहारी मजदूर मुश्किल में हैं। इस बार दर्द मिला है दक्षिण के राज्य तमिलनाडु से। वहां के चेन्नई और आसपास के कुछ शहरों में काम करने गए बिहारी मजदूरों पर कथित तौर पर स्थानीय लोग हमला कर रहे हैं। बिहार सरकार की तरफ से मामले की जांच की जा रही है
13 साल बाद एक बार फिर से बिहारी मजदूर मुश्किल में हैं। इस बार दर्द मिला है दक्षिण के राज्य तमिलनाडु से। वहां के चेन्नई और आसपास के कुछ शहरों में काम करने गए बिहारी मजदूरों पर कथित तौर पर स्थानीय लोग हमला कर रहे हैं। बिहार सरकार की तरफ से मामले की जांच की जा रही है।
इस घटना ने 2010 का वो घाव ताजा कर दिया है जो महाराष्ट्र में मिला था। उस दौरान वहां के दो राजनीतिक दलों महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) और शिव सेना के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र से हिन्दी भाषियों को बाहर निकालने की मुहिम छेड़ी थी।
तब उन्होंने फैक्ट्रियों और दुकानों में घुस कर बिहारी मजदूरों पर हमले किए थे। सड़क पर रेहड़ी लगाने वालों को मारा गया था। स्कूल में पढ़ने वाले मासूम बच्चे तक को नहीं छोड़ा गया था।
थिएटर में अगर बिहार की कोई फिल्म लग जाती थी तो न केवल फिल्म देखने वालों के साथ मारपीट की जाती थी बल्कि थियेटर संचालकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता था।
इतना ही नहीं, तब तत्कालीन शिवसेना सुप्रीमो दिवंगत बाला साहब ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में बिहारियों को ‘गोबर का कीड़ा’ कहा था। उन्होंने बिहारियों के लिए ‘एक बिहारी सौ बीमारी’ जैसी संज्ञा का इस्तेमाल भी किया था।
उन्होंने लिखा था कि बिहार में भ्रष्टाचार की गंगा बहती है और इसी वजह से ही गंगा मैली हो गई है। वहां गरीबी, भूख, बेरोज़गारी और जातिवाद के साथ अराजक स्थिति है।
अब समझिए क्या है तमिलनाडु का ताजा विवाद
ये घटना पिछले 10-15 दिनों से चल रही है। तमिलनाडु से बिहार के अलग-अलग जिलों में लौट रहे मजदूरों के मुताबिक वहां हिन्दी बोलने वाले मजदूरों पर चाकू और अन्य धारदार हथियार से हमले किये जा रहे हैं। उन्हें तमिलनाडु छोड़कर जाने के लिए कह रहे हैं। क्योंकि यहां रहने से उन्हें काम मिलने में परेशानी हो रही है।
विवाद की शुरुआत मजदूरी की दर को लेकर हुआ। तमिलनाडु वाले मेहनताना 1200 रुपए मांगने का फरमान जारी कर दिए हैं जबकि बिहार के मजदूर इससे कम में काम करने के लिए तैयार हैं। इसके विरोध में वे लोग हिंसक हो गए हैं और हिन्दी बोलने वालों पर हमला कर दिया
डिस्क्लेमर :- यह जानकारी इंटरनेट पर चल रही खबरों से प्राप्त की गई है