BJP में संगठन चुनावों की देरी से बढ़ी सत्ता वाले राज्यों की मुश्किलें

BJP में संगठन चुनावों की देरी से सत्ता वाले राज्यों में बढ़ी चिंता, तालमेल की कमी और जनता से दूरी पर पार्टी में मंथन।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) में संगठन चुनावों की देरी अब सीधे-सीधे राज्यों की राजनीति और प्रशासन पर असर डालने लगी है। खासतौर पर वे राज्य, जहां BJP की सरकार है, वहां से आ रही रिपोर्टें चिंता बढ़ाने वाली हैं। पार्टी को विभिन्न स्तरों पर जो आकलन मिल रहा है, उसमें सत्ता और संगठन के बीच तालमेल की कमी और जनता के बीच पकड़ कमजोर पड़ने की बात सामने आ रही है।

राज्यों से आ रही नकारात्मक रिपोर्टें

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कई राज्यों के नेता व्यक्तिगत तौर पर केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी राय और फीडबैक साझा कर रहे हैं। इन मुलाकातों में यह साफ हुआ है कि कुछ राज्यों में संगठनात्मक सक्रियता कम हो रही है और इससे सरकार व पार्टी के बीच दूरी बढ़ रही है।

भाजपा के कई राज्यों में संगठन चुनाव पूरे हो चुके हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर अभी चुनाव नहीं हुए हैं। इस देरी का असर राज्यों में भी दिख रहा है, जहां कार्यकर्ताओं की ऊर्जा और समन्वय दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

संगठन और सत्ता के बीच समन्वय की कमी

जिन राज्यों में BJP की सरकार है, वहां पर संगठन और सत्ता के बीच तालमेल में कमी देखी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि यह कमी दो बड़े कारणों से है—

1. सत्ता और संगठन के बीच समन्वय की दिक्कतें।

2. जनता के बीच सरकार की छवि को लेकर बढ़ती चिंताएं।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तराखंड को लेकर विशेष चिंता जताई गई है। इनमें गुजरात में तो अभी संगठन चुनाव भी नहीं हुए हैं, जिससे संगठन की मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं।

फीडबैक और बैठकें

पार्टी अध्यक्ष हर महीने महासचिवों के साथ बैठक कर राज्यों की रिपोर्ट पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा, वरिष्ठ नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकातों और एजेंसियों से मिले इनपुट को भी अहम माना जाता है। इन सभी रिपोर्टों में यह बात उभरकर आई है कि कुछ राज्यों में सुधारात्मक कदम उठाना अब जरूरी हो गया है।

केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति

पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिए हैं कि जिन राज्यों में स्थिति संतोषजनक नहीं है, वहां तुरंत कदम उठाए जाएंगे। बिहार विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय नेतृत्व संगठन की व्यापक समीक्षा करने वाला है। हालांकि, यह प्रक्रिया नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के बाद ही पूरी होगी, इसलिए समयसीमा अभी तय नहीं है।

अगर केंद्र से दी गई सलाह और निर्देशों के बाद भी राज्यों में स्थिति नहीं सुधरी, तो नेतृत्व बदलाव या अन्य बड़े कदम उठाने पर विचार कर सकता है।

आगे की राह

BJP के लिए इस समय सबसे बड़ी चुनौती है—संगठन और सरकार के बीच तालमेल बहाल करना और जनता में अपनी पकड़ मजबूत करना। संगठन चुनावों में देरी ने कार्यकर्ताओं के उत्साह पर असर डाला है, जिसे समय रहते संभालना जरूरी है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर यह स्थिति लंबी चली, तो आने वाले चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए, BJP के लिए संगठनात्मक मजबूती और जनता से सीधा जुड़ाव बनाए रखना अब पहले से कहीं ज्यादा अहम हो गया है।

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