मध्य प्रदेश के इंद्रकुमार तिवारी की कहानी चौंकाने वाली है। 45 साल के इंद्रकुमार के पास 18 एकड़ जमीन थी, लेकिन शादी नहीं हो पा रही थी। इसी बेचैनी में वे 3-10 मई तक हुए प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी के प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में पहुंचे और वहां उन्होंने सभी के सामने सवाल रखा – “मेरे पास इतनी जमीन है, फिर भी शादी क्यों नहीं हो रही।
इस सवाल का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो देखकर 17 मई को कौशल गौर नाम का व्यक्ति इंद्रकुमार को कॉल करता है और बताता है कि उसने कथा का वीडियो देखा है और वह अपनी बहन खुशी की शादी इंद्रकुमार से कराना चाहता है।
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इंद्रकुमार खुशी से बात करने लगता है और दोनों के बीच कई दिनों तक बातचीत होती रहती है। बात इतनी आगे बढ़ती है कि 26 मई को कौशल शगुन लेकर इंद्रकुमार के गांव सोहरा पहुंच जाता है और 5 जून को शादी की तारीख तय कर दी जाती है। इंद्रकुमार खुशी से शादी करने के लिए गहने बनवाते हैं, नकद पैसे जुटाते हैं और अपने खानदानी जेवर लेकर गोरखपुर पहुंचते हैं।
गोरखपुर के होटल में खुशी और इंद्रकुमार की शादी होती है। इंद्रकुमार खुशी के साथ अपनी तस्वीरें गांव के लोगों को भेजता है। लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है जब इंद्रकुमार शादी के बाद खुशी से गांव चलने को कहता है। खुशी और कौशल बहाने बनाने लगते हैं और गांव जाने से मना करने लगते हैं। इंद्रकुमार को शक होता है कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दरअसल, खुशी का असली नाम शाहिदा था, जो पहले से शादीशुदा थी और कौशल गौर उसका पति था, भाई नहीं। शाहिदा ने धर्म बदलकर खुशी नाम रखा था ताकि इंद्रकुमार को ठगा जा सके। यह पूरा शादी का नाटक सिर्फ इंद्रकुमार को फंसाने और उसकी संपत्ति हड़पने के लिए रचा गया था।
शादी के अगले दिन से इंद्रकुमार का फोन बंद आने लगा और वह गांववालों से संपर्क नहीं कर पाया। चिंता होने पर गांव के लोग पुलिस के साथ गोरखपुर पहुंचे। वहां पता चला कि गोरखपुर पुलिस एक लावारिस लाश की शिनाख्त कर रही है, और वो कोई और नहीं बल्कि इंद्रकुमार था। गांववालों ने पुलिस को इंद्रकुमार और खुशी की शादी की तस्वीरें दिखाईं, जिससे इस जघन्य साजिश का पर्दाफाश हुआ।