मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में बेरोजगारी खत्म: अब MP के नौजवान कहलायेंगे “आकांक्षी युवा”

Unemployment is over in Madhya Pradesh, now the youth of MP will be called "Aspiring Youth"

मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए ‘बेरोजगार’ शब्द को हटाकर ‘आकांक्षी युवा’ शब्द अपनाने का फैसला किया है। राज्य के श्रम विभाग द्वारा यह बदलाव किया गया है, जिसका उद्देश्य नकारात्मक छवि को सकारात्मकता में बदलना है। हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छिड़ गई है।

लाडली बहना योजना बंद: स्कीम पर बड़ा विवाद कांग्रेस नेता ने महिलाओं को चेताया

सरकार का कदम और इसकी वजह

राज्य सरकार ने यह बदलाव रोजगार पोर्टल और सभी रोजगार कार्यालयों पर लागू किया है। सरकार का कहना है कि यह कदम युवाओं को प्रेरित करने के लिए उठाया गया है ताकि वे अपनी योग्यता के अनुसार रोजगार और अवसरों की तलाश में आगे बढ़ सकें। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 2.93 मिलियन युवा अब ‘आकांक्षी युवा’ के रूप में पंजीकृत हैं।

राजनीतिक विवाद और आलोचना

कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है। प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने इसे मात्र एक दिखावा करार दिया। उनका कहना है कि सरकार ने केवल शब्दों का हेरफेर कर युवाओं को भ्रमित करने की कोशिश की है, लेकिन हकीकत में रोजगार की समस्या जस की तस बनी हुई है। उनका आरोप है कि पिछले 20 वर्षों में सरकार ने रोजगार पैदा करने के वादे किए, लेकिन उन पर अमल नहीं किया।

सरकार का पक्ष और आत्मनिर्भरता पर जोर

वहीं, राज्य के श्रम मंत्री गौतम टेटवाल ने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि कई युवा स्वरोजगार या निजी नौकरियों में संलग्न हैं, लेकिन वे सरकारी नौकरियों की तलाश में हैं। ऐसे में उन्हें ‘बेरोजगार’ कहना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘आकांक्षी युवा’ शब्द उन्हें प्रेरित करेगा और उनकी योग्यता के अनुसार नए अवसरों तक पहुंचने में मदद करेगा।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि केवल सरकारी नौकरियों से बेरोजगारी को खत्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में सरकारी नौकरियों का अनुपात बहुत कम है। इसलिए सरकार आत्मनिर्भरता और उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है।

क्या यह बदलाव वास्तव में असरदार होगा

शब्दों के बदलाव से मानसिकता पर प्रभाव जरूर पड़ सकता है, लेकिन असली चुनौती रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की है। सरकार यदि उद्यमिता, स्वरोजगार और निजी क्षेत्र में नौकरियों की संभावनाओं को मजबूती से बढ़ावा देती है, तो ही यह पहल वास्तविक सफलता हासिल कर सकेगी।

फिलहाल, इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अब देखना होगा कि ‘आकांक्षी युवा’ की यह नई परिभाषा रोजगार की वास्तविकता को किस हद तक बदल पाती है।

समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button