सचिव ने किया फर्जीवाड़ा बता दिया अपनी मां के 4 पति जानिए कैसे करता था फर्जी काम, कारनामे सुनकर अधिकारियों के उड़े होश

सचिव ने किया आवास योजना में फर्जीवाड़ा बता दिया अपनी मां के 4 पति जानिए कैसे करता था फर्जी काम, कारनामे सुनकर अधिकारियों के उड़े होश।

अपने किस्से और कहानियों में या फिर किसी बॉलीवुड फिल्मों में यह तो देखा या सुना होगा कि एक पत्नी के ऊपर 4 पति दावेदारी करते हैं परंतु जब किस्सा और कहानी हकीकत में परिवर्तित हो जाए तो हैरान कर देने वाली बात हो जाती है। ऐसी ही एक घोटालेबाज सचिव की कहानी सामने उजागर होकर आई है।

जानिए क्या है पूरा मामला 

यह पूरा मामला मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के लतार ग्राम पंचायत का है जहां ग्राम रोजगार सहायक एवं तत्कालीन प्रभारी सचिव नरेश लहरे ने कागजों में अपने मां के चार पति दर्शा दिए जिसमें से एक पति तो असली था परंतु तीन पति नकली पाए गए यह पूरा फर्जीवाड़ा तत्कालीन सचिव ने प्रधानमंत्री आवास योजना में की है जहां उसने कागजों में हेरफेर करते हुए गलत रूप से जियो टैगिंग कर सात मकान के निर्माण में घपला किया वही इस पूरे मामले की जांच के बाद जिला पंचायत सीईओ अनूपपुर ने ग्राम रोजगार सहायक को कारण बताओ सूचना पत्र भेजा है।

कागजी कार्यवाही को रखना था चुस्त-दुरुस्त पर लगा गंभीर आरोप 

विदित हो कि वर्ष 2018 से वर्ष 2020 के बीच अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत बदरा अंतर्गत लतार ग्राम पंचायत में ग्राम रोजगार सहायक नरेश लहरे को सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी ताकि वह पीएम आवास जैसे योजना में पात्र हितग्राहियों को मकान बनाने में सहयोग प्रदान करें। जियो टैगिंग अर्थात बनने वाले मकानों का भौतिक सत्यापन करना था एवं समस्त दस्तावेजों को ग्राम पंचायत में संजोकर रखना था वहीं जिला पंचायत की अब तक में जांच के अनुसार जानकारी मिली है कि नरेश अपने जिम्मेदारियों को निजी स्वार्थ पूर्ति हेतु इस्तेमाल किया उसने खुद अपने पारिवारिक लोगों के नाम पर काफी घोटाला किया तथा अन्य जो अशिक्षित लोग थे उन्हें भी अपने घोटाले का शिकार बनाया।

इस तरह से किया है पूरा घोटाला

ग्राम रोजगार सहायक नरेश सहित कुल 4 भाई हैं जिसमें से पहला भाई सुरेश दूसरा भाई राजाराम तीसरा भाई कमलेश और चौथे का नाम सर्वजन नहीं किया गया बस यही जानकारी दी गई कि वह सरकारी नौकरी में है और इस मामले में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं है इन सब के पिता का नाम ठुगनू व माता का नाम गुलइची है।

नरेश ने अपने भाई सुरेश का आवास मंजूर कराया तथा उसकी पहली किस्त अभी आ गई उसमें माता और पिता का नाम वास्तविक रूप से लिखा इसमें किसी भी प्रकार का कोई गड़बड़ नहीं किया।

इसके बाद वह अपने दूसरे भाई राजाराम की पत्नी सावित्री के नाम से प्रधानमंत्री आवास मंजूर करवाया सावित्री के पिता का नाम रामचरण लिखा जो सत्य पाया गया लेकिन मां का नाम गुलइची लिखा गया जबकि गुलइची सावित्री की सास है ऐसा करके डेढ़ लाख रुपए की हेराफेरी कर ली गई।

अब नरेश को मानो की पंख लग गए थे और वह इस कदर एक ही झटके में सब कुछ कर लेना चाहता था कि जैसे वह एक छलांग में आसमान को छू ले उसने सुरेश और राजाराम के बाद तीसरे भाई कमलेश पर भी मेहरबानी दिखाते हुए उसकी पत्नी कमलेश्वरी के नाम से आवास मंजूर करवाया कमलेश्वरी के पिता का नाम ननसी लिखा गया लेकिन यहां पर फिर से उसने मां का नाम गुलइची लिखा। और उसके भी नाम से डेढ़ लाख रुपए की हेराफेरी कर ली।

जब नरेश सभी को सिन्नी बांट रहा था तो वह अपने आप को भला कैसे अलग कर पाता उसने अपनी पत्नी प्रेमा बाई के नाम से भी आवास मंजूर करवाया जिसमें उसने उसके पिता का नाम गोली दास लिखा जो सही था परंतु मां का नाम फिर से उसने गुलइची लिख दिया जबकि उसके मां का नाम सियादेवी है। इतना ही नहीं उसने हितग्राही की जगह अपने 15 साल के बेटे को खड़ा करके फोटो खींचकर जियो टैगिंग कर ले और इस में भी डेढ़ लाख रुपए का फर्जीवाड़ा कर लिया। इस तरह से नरेश ने अलग-अलग आवास हितग्राहियों के नाम के सम्मुख अपनी माता का नाम एक ही लिखा और पिता का नाम अलग-अलग इस तरह से उसके माता के 4 पति हुए।

GRS नरेश लहरे

जानिए क्यों बदलता था सिर्फ पिता का नाम

नरेश सिर्फ पिता का नाम इसलिए बदलता था क्योंकि अगर वह भाइयों और खुद की पत्नी के दस्तावेज में नाम नहीं बदलता तो उसे स्थाई पता की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ता योजना के तहत माया पिता दोनों में से एक के पत्ते का भौतिक सत्यापन जरूरी है ऐसे में अगर वास्तविक पिता का नाम लिखता तो भेज वेरीफिकेशन में वह पकड़ा जा सकता था। 

जानिए किस तरह से करता था जियो टैगिंग में फर्जीवाड़ा

जिला पंचायत की जांच में पता चला कि नरेश में चैतू पिता लीला कोल, धनु यादव पिता रेवा यादव, एवं राम सिंह पिता जोहन सिंह को दूसरे के घर के सामने खड़ा कर फोटो लिया और जियो टैगिंग कर दी जबकि तीनों के घर जांच में अधूरे मिले और ऐसी स्थिति में अगली किस्तों का भुगतान नहीं होना था इसके बावजूद भी तीनों को सभी किस्तों का भुगतान किया गया वही नरेश पर आरोप लगा है कि हितग्राहियों के अनपढ़ होने की वजह से वह उनके अंगूठे लगवा कर पैसे ले लिया करता था।

वही इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सीईओ अनूपपुर अभय सिंह को हरियाने ग्राम रोजगार सहायक नरेश प्रसाद लहरे के खिलाफ फर्जी रूप से हितग्राहियों को लाभ दिलाने एवं घोटाला करने के कारण f.i.r. करने के निर्देश दिए हैं।

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