मध्य प्रदेश में शराब दुकानों द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से ज्यादा दाम वसूलने का खुलासा हुआ है। हैरानी की बात यह है कि सरकार की सख्त हिदायतों के बावजूद प्रदेश के 40 जिलों में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसका सीधा फायदा ठेकेदारों को मिल रहा है, जबकि आम उपभोक्ता लुट रहा है।
13 मई को आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया था कि शराब दुकानों पर एमआरपी से अधिक दाम वसूली की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाए। बावजूद इसके केवल 15 जिलों में ही जांच हो सकी, जहां नियमों का उल्लंघन सामने आया। इन मामलों में कुल 2 करोड़ 32 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
जबलपुर में सबसे बड़ी कार्रवाई
प्रदेश की सबसे कड़ी कार्रवाई जबलपुर में की गई, जहां 32 शराब दुकानों पर एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने के आरोप में 1 करोड़ 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। राजधानी भोपाल में भी 7 दुकानों को 24 लाख रुपये की पेनल्टी भुगतनी पड़ी।
क्या कहती है नई आबकारी नीति
नई आबकारी नीति के मुताबिक, यदि कोई दुकान एमआरपी से ज्यादा या न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत पर शराब बेचती है, तो उस पर एक दिन की लाइसेंस फीस के बराबर जुर्माना लगता है। यदि जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो कलेक्टर नोटिस के जवाब में दंडादेश जारी करते हैं।
हाईकोर्ट की सख्ती
एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब बिक्री के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने आबकारी आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों से चार हफ्ते के भीतर जवाब तलब किया है।
प्रदेश के कई जिलों में प्रशासन की उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही के चलते आम जनता को एमआरपी से ज्यादा कीमत पर शराब खरीदनी पड़ रही है। अब देखना यह है कि हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद शासन और प्रशासन कितनी गंभीरता से कदम उठाता है।