MP NEWS: MP का एक ऐसा गांव जहां सभी आपस में हैं रिश्तेदार गांव के अंदर ही चुनते हैं अपना जीवन साथी!

MP NEWS: MP का एक ऐसा गांव जहां सभी आपस में हैं रिश्तेदार गांव के अंदर ही चुनते हैं अपना जीवन साथी!

मध्यप्रदेश में एक ऐसा भी गांव जहां रहने वाले सभी लोग आपस में रिश्तेदार हैं इसके पीछे वजह यह है कि गांव के अंदर ही शादी-ब्याह कर दी जाती है लोगों को गांव में ही अपना जीवन साथी चुनने की पूरी आजादी रहती है।

लोग गांव के बाहर रिश्ता ढूंढ़ने नहीं जाते रिश्ता तय होने के बाद वह आपस में हंसी खुशी विवाह कर लेते हैं और गांव के अंदर ही उनकी रिश्तेदारी हो जाती है लोगों की मानें तो यहां पर यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है।

एमपी के शहडोल जिला स्थित खन्नाथ गांव में इस तरह की परम्परा बहुत पुरानी है सैकड़ों वर्षों से यह परम्परा चली आ रही है लोग गांव के अंदर ही अपना रिश्ता तय कर लेते हैं और वह रिश्तेदार बन जाते हैं।

इन अनोखी परंपरा के कारण गांव के लड़के-लड़कियों की शादी उसी गांव में ही हो रही है। आलम यह है कि आज पूरा गांव आपस में रिश्तेदार बन गया है यहां के लोगों का कहना है कि कुछ शादियां अब गांव के बाहर भी होने लगी हैं।

किंतु इनकी संख्या लगभग न के बराबर है खन्नाथ गांव कुर्मी पटेल बाहुल्य गांव है यहां जब विशेष आयोजन होता है तो ट्रैक्टर की ट्रालियों में पकवान बनाकर रखा जाता है। समूचा गांव निमंत्रण में शामिल होता है।

खन्नाथ गांव की आबादी 4 हजार से अधिक है जिसमें पटेल समुदाय के सर्वाधिक लोग रहते हैं ग्रामीणों की मानें तो यहां गांव में होने वाली शादियों की संख्या

500 के पार जा चुकी है लोग आपस में रिश्तेदार बन गए हैं बताया गया है कि खन्नाथ समेत कुल 8 गांव हैं जहां पटेल समुदाय की लगभग पूरी रिश्तेदारी है।

जिसमें पिपरिया, बोडरी, चौराडीह, नौगांव, खैरहा, नदना और बंडी शामिल है हालांकि अब कुछ लोग बाहर भी शादी करने लगे हैं किंतु इनकी संख्या बहुत ही कम बताई गई है।

यहां निवासरत ग्रामीणों के मुताबिक गांव में यह परंपरा लगभग 5सौ वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है उनके दादा परदादा समेत अन्य परिजनों का विवाह गांव में ही होता था जिसके बाद अभी तक इस परंपरा का निर्वहन बखूबी किया जा रहा है।

यहां लोगों को अपना जीवन साथी चुनने की पूरी आजादी रहती है यदि कोई अपना जोड़ा चुनता है तो गांव के लोग उसकी भावना को समझते हुए उसकी शादी करा देते हैं।

अपने पसंद का जीवन साथी चुनने के बाद इसकी जानकारी परिजनों को दी जाती है इसके बाद कुनबा, गोत्र आदि देखकर विवाह की तैयारियां प्रारंभ कर दी जाती हैं ग्रामीणों का कहना है कि प्रति वर्ष लगभग 4 से 5 शादी संपन्न होती हैं।

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