MP News: मध्यप्रदेश में विकास की कीमत गांवों के अस्तित्व से चुकानी पड़ सकती है। पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक प्रोजेक्ट के चलते गुना जिले में कई गांव डूबने की कगार पर हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत घाटाखेड़ी में बांध बनाया जाना प्रस्तावित है, जिससे चांचौड़ा विधानसभा के पूरे 16 गांव जलमग्न हो जाएंगे।
इन गांवों में बसे करीब 22 हजार लोगों का जीवन पूरी तरह प्रभावित होगा। हजारों मकान, दुकानें और लगभग 9 हजार हेक्टेयर उपजाऊ जमीन पानी में समा जाएगी। यही कारण है कि स्थानीय लोग और किसान संगठन इस बांध का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
धिरौली खदान विवाद: आदिवासियों संग कांग्रेस, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल का BJP पर हमला
ग्रामीणों का कहना है कि यह उपजाऊ भूमि प्रदेश के हित में है, लेकिन इसे राजस्थान के फायदे के लिए बर्बाद किया जा रहा है। लोग साफ कह रहे हैं कि वे किसी भी हाल में अपनी पुश्तैनी जमीन और मकान नहीं छोड़ेंगे। ग्रामीण बड़े बांध की जगह छोटे स्टॉप डैम बनाने की मांग कर रहे हैं।
हाल ही में 10 सितंबर को बीनागंज में हजारों लोगों ने रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों का कहना है कि विस्थापन की पीड़ा वे झेलने को तैयार नहीं हैं।
हालांकि सरकार की नजर में यह प्रोजेक्ट बेहद अहम है। करीब 72 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले पीकेसी लिंक प्रोजेक्ट से 21 बांध और बैराज बनेंगे। इससे प्रदेश के 11 जिलों – आगर-मालवा, देवास, इंदौर, गुना, मुरैना, मंदसौर, राजगढ़, शिवपुरी, शाजापुर, उज्जैन और सीहोर – की 6 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन सिंचित होगी।
लेकिन सवाल यही है – क्या विकास की कीमत गांवों और किसानों के उजड़ने से चुकाई जानी चाहिए।