मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर को आज एक ऐतिहासिक तोहफ़ा मिलने जा रहा है। लगभग 1100 करोड़ रुपए की लागत से तैयार प्रदेश का सबसे बड़ा और लंबा फ्लाईओवर अब आम लोगों के सफर को आसान बनाएगा। इसका उद्घाटन 23 अगस्त को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव करेंगे।
इस फ्लाईओवर की खासियत सिर्फ इसकी लंबाई नहीं है, बल्कि इसमें शामिल देश का सबसे बड़ा केबल स्टे ब्रिज भी है, जो मदन महल रेलवे स्टेशन के ऊपर से गुजरता है।
192 मीटर लंबे इस ब्रिज को इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना कहा जा रहा है। दमोह नाका से मदन महल तक फैला यह फ्लाईओवर कुल 7 किमी लंबा है और अब 40 मिनट का सफर केवल 10 मिनट में पूरा किया जा सकेगा।
आधुनिक सुविधाओं से लैस
इस फ्लाईओवर के नीचे सिर्फ कंक्रीट ही नहीं, बल्कि 50 हजार पौधों का रोपण किया गया है, जिससे पर्यावरण को संवारने के साथ प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा यहां लोगों के लिए ओपन जिम, बास्केटबॉल कोर्ट और बच्चों का पार्क भी तैयार किया गया है, जिससे यह स्थान सिर्फ यातायात का साधन नहीं बल्कि एक सामुदायिक केंद्र बन जाएगा।
तकनीकी और कानूनी चुनौतियां
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2016 में मंजूरी के साथ हुई थी और 2019 में नितिन गडकरी ने भूमि पूजन किया था। हालांकि निर्माण के दौरान कई कानूनी विवाद और प्रशासनिक बाधाएं सामने आईं।
भूमि अधिग्रहण को लेकर हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुईं, वहीं फ्लाईओवर की चौड़ाई को लेकर भी आपत्तियां उठीं। निर्माण लागत भी शुरुआती 758 करोड़ से बढ़कर 1053 करोड़ तक पहुंच गई।
राजनीति और विवाद भी जुड़े
फ्लाईओवर पर राजनीति का रंग भी चढ़ा। 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधूरे फ्लाईओवर के एक हिस्से का उद्घाटन कर दिया था, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए। वहीं, निर्माण के दौरान आई दरारों को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, जिनका समाधान तकनीकी विशेषज्ञों ने किया।
जबलपुर की पहचान बनेगा फ्लाईओवर
यह फ्लाईओवर न केवल ट्रैफिक की दिक्कतों को खत्म करेगा बल्कि जबलपुर की पहचान भी बनेगा। बो-स्ट्रिंग ब्रिज और केबल स्टे ब्रिज जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के साथ तैयार यह प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश की इंजीनियरिंग क्षमता और विकास की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।