अब प्रवेश के समय छात्रों से शैक्षणिक संस्थान मूल दस्तावेज नहीं रख सकेंगे। यह आदेश इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने शनिवार को विद्यार्थियों की शिकायत के बाद दिया है। एक दर्जन से अधिक छात्रों ने कलेक्टर की जनसुनवाई में कॉलेजों और स्कूलों द्वारा मूल दस्तावेज नहीं लौटाने की शिकायत दर्ज कराई थी, जहां यह भी खुलासा हुआ था कि मार्कशीट-सर्टिफिकेट जारी करने के लिए छात्रों से मोटी रकम वसूली जा रही है।
आदेश में जिन संस्थानों ने इन्हें अपने कार्यालयों में रखा है, उन्हें तत्काल दस्तावेज वापस करने को कहा गया है। छात्रों के मुताबिक स्कूल-कॉलेजों ने 10वीं-12वीं, ग्रेजुएशन कोर्स की मार्कशीट, ट्रांसफर, जाति प्रमाण पत्र, माइग्रेशन आदि मूल दस्तावेज जमा कराये गए हैं। जहां बार-बार अनुरोध के बावजूद भी संस्थानों ने उन्हें वापस करने से इनकार कर दिया। वहीं कुछ छात्रों ने संस्था के खिलाफ 10 से 15 हजार रुपये मांगने की भी शिकायत की है।
जिस पर कलेक्टर ने शनिवार को आदेश जारी कर कहा है की उच्च शिक्षण संस्थानों और निजी विश्वविद्यालयों को छात्रों के मूल दस्तावेज जमा नहीं कर सकते, यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और मध्य प्रदेश सरकार की संस्थाओं द्वारा जारी नियमों के भी विरुद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी शिकायत मिलने पर संस्थान के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी।